एक थी विस्तारा …
कुछ सालों बाद विस्तारा का जिक्र आपको सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही पढ़ने को मिलेगा. इसका कारण 11-12 नवंबर की आधी रात को विस्तारा अपनी आखिरी हवाई सफर तय करेगी और फिर कभी उड़ान नहीं भरेगी. इसकी वजह है विस्तारा का एयर इंडिया में विलय हो जाना. इस विलय के बाद विस्तारा का 6500 का स्टॉफ, 70 विमान और उसकी समस्त घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें एयर इंडिया के अंतर्गत संचालित की जाएगी. दूसरी ओर जब भी एयरलाइन इंडस्ड्री का जिक्र होगा तो विस्तारा का नाम उसमें जरूर शामिल रहेगा.
कैसे हुई विस्तारा की शुरूआत ?
पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने साल 2012 में विदेशी एयरलाइनों को घरेलू एयरलाइन में 49% तक हिस्सेदारी हासिल करने की अनुमति दी थी. इसके परिणामस्वरूप जेट एयरवेज ने गल्फ एयरलाइन के इतेहाद में 24% हिस्सेदारी हासिल की थी. इसी दौरान एयर एशिया इंडिया और विस्तारा भी टाटा समूह का हिस्सा बने और विस्तारा का उदय हुआ. विस्तारा पिछले दस वर्षों में भारत के आसमान में सेवा देने वाली एकमात्र पूर्ण-सेवा एयरलाइन रही है.
कब हुई थी शुरूआत ?
साल 2013 में विस्तारा का गठन किया गया था. उस समय पर टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस ने मिलकर इस नए हवाई परिवहन उद्यम को शुरू करने का फैसला लिया. दोनों कंपनियों के बीच सहयोग से एयलाइन का लक्ष्य भारतीय हवाई यात्रा बाजार में एक नई, उच्च-मानक सेवा प्रदान करना था. इसके बाद साल 2015 की 9 जनवरी को विस्तारा ने अपनी पहली व्यावसायिक उड़ान दिल्ली से मुंबई के बीच भरी. इसकी शुरुआत के साथ ही यह एयरलाइन भारतीय हवाई यात्रा क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धा लाने का इरादा रखती थी और इसका लक्ष्य था एक “फुल-सेवा” एयरलाइन के रूप में उच्च गुणवत्ता वाली सेवा देना था.
शुरूआत में विस्तारा ने भारत के प्रमुख शहरों के बीच ही उड़ाने संचालित की जाती थी, लेकिन समय के साथ इसका नेटवर्क बढ़ता गया. धीमे- धीमे इसमें अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत भी कर दी गई. हालांकि, इसकी प्रमुख उड़ानें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, और चेन्नई जैसे बड़े शहरों के बीच होती थी.
विलय के बाद यात्री सुविधाओं में क्या होगा बदलाव ?
विलय के एक महीने में विस्तारा का टिकट लेने वाले करीब 1,15,000 यात्रियों को एयर इंडिया के नाम से उड़ान भरेंगे. इसके साथ ही समूह ने यात्रियों को भरोसा दिलाया है कि विस्तारा का अनुभव किसी भी प्रकार से नहीं बदलेगा. हालांकि, विलय के बाद विस्तारा एयरलाइन की फ्लाइट कोड के आगे 2 जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही एयर इंडिया ने ऐलान किया है कि, ”विस्तारा के जैसा ही उत्पाद और सेवा अनुभव लोगों को आगे भी उपलब्ध रहेगा. बदलाव में मदद के लिए हवाई अड्डों पर हेल्प डेस्क कियोस्क स्थापित किए जाएंगे. अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर लगी साइनेज और सूचना यात्रियों को सही चेक-इन डेस्क तक ले जाएगी. विस्तारा संपर्क केंद्र निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एयर इंडिया के प्रतिनिधियों को कॉल पुनर्निर्देशित करेगा. विस्तारा के लॉयल्टी सदस्यों को एयर इंडिया कार्यक्रम में स्थानांतरित किया जाएगा.”
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भारत में अब तक किन एयरलाइन का हुआ विलय और कौन हो गए बंद ?
भारत में विमानन उद्योग में कई एयरलाइनों का विलय और बंद होना देखा गया है. यह ज्यादातर वित्तीय संकट, प्रतिस्पर्धा, या प्रबंधन की समस्याओं के कारण हुआ है. नीचे कुछ प्रमुख भारतीय एयरलाइनों का विलय और बंद होने का इतिहास दिया गया है:
1- एयर इंडिया – साल 2007 में इंडियन एयरलाइन में विलय हो गई.
2-किंगफिशर-विजय माल्या के स्वामित्व वाली यह एयर लाइन वित्तीय संकटों के कारण 2012 में बंद हो गई.
3-जेट एयरलाइन- यह 2019 में उच्च कर्ज और वित्तीय संकट बंद हो गई.