एसआईटी जांच में सनसनीखेज खुलासा, बनारस की इस यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री पर पढ़ा रहे हजार से अधिक गुरु जी…

0

सर्वविद्या की राजधानी काशी में आदि काल से ज्ञान की ज्योति जल रही है लेकिन कुछ लोगों की कारस्तानियों की वजह से इसका नाम अवांछित कारणों से सुर्खियों में आ रहा है। जी हां आजकल देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या बन गई है।

कई साल की कड़ी मेहनत के बाद युवा कोई डिग्री हासिल कर नौकरी की उम्मीद में दर-दर की ठोकर खा रहे हैं तो वहीं ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है जो फर्जी डिग्रियों के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

ऐसे लोगों की संख्या भी 100 या 200 नहीं, बल्कि 1000 से भी ज्यादा है जो फर्जी डिग्रियों के सहारे सरकारी स्कूलों में शिक्षक बन बैठे हैं। इसका खुलासा तब होने लगा जब नौकरी पाने के बाद दस्तावेजों को सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय भेजा गया।

एसआइटी का हुआ गठन

मामला जब बड़ा हुआ तब बाकायदा शासन की ओर से विशेष अनुसंधान दल यानी एसआईटी टीम भी गठित कर दी थी। दो साल पहले गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अब शासन को सौंप दी है।

जानकारी के मुताबिक यूपी के परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सत्यापन के दौरान जांच शुरू हुई तो सभी के होश उड़ गए। बड़ी संख्या में दस्तावेज फर्जी मिले।

एसआइटी ने सौंपी 99 पेज की रिपोर्ट

एसआईटी जांच में अब तक 69 जिलों में कुल 5481 शिक्षकों में से 1086 शिक्षकों के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। वहीं, 207 शिक्षकों के प्रमाण पत्र को संदिग्ध दर्शाया गया है।

ऐसे में परिषदीय स्कूलों में तैनात 1086 अध्यापकों पर कार्यवाही होना तय माना जा रहा है। एसआईटी की 99 पेज की रिपोर्ट में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को कठघरे में खड़ा किया है। साथ ही अधिकारियों सहित 19 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है।

वीसी ने की तस्दीक, दी सख्त चेतावनी

इस संबंध में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर राजाराम शुक्ला ने कहा कि यह हमारे संज्ञान में है। पिछले दिनों एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। शासन की ओर से कुलसचिव को आवश्यक और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए इसे भेजा गया था।

उन्होंने कहा कि हम वैधानिक पक्षों का अध्ययन कर रहे हैं। इसमें जो कोई भी दोषी पाया जाता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। छात्रों के भविष्य के साथ और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह भी पढ़ें: यूं ही नहीं कोई बन जाता है विजिटिंग प्रोफेसर, पांच चरणों से गुजरता है नाम

यह भी पढ़ें: फीका पड़ा ग़ुलाल का रंग, होली पर कोरोना की काली छाया

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More