यूपी में सपा और बीएसपी की नजदीकी अब मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। सपा ने बाहरियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं और उसके निशाने पर बीएसपी से नाराज लोग ज्यादा हैं। इसके संकेत गुरुवार को तब दिखायी पड़े जब बीएसपी से नाराज पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज अपने साथ ढेर सारे बीएसपी नेताओं को सपा में ले आए।
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सबको जोड़ने के लिए तैयार हैं
सपा ने बीएसपी से आए लोगों के लिए बाकायदा पार्टी मुख्यालय पर भव्य समारोह का आयोजन किया। खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समारोह की अध्यक्षता की और मंच से घोषणा की कि सपा के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। वह सबको जोड़ने के लिए तैयार हैं।
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सरोज के सपा में आने से यह नाराजगी और बढ़ेगी
पहले से ही सपा से दूरी बनाकर चल रहीं मायावती की नाराजगी अखिलेश यादव के इस कदम से और बढ़ेगी। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने पिछले महीने जब पटना में माया और अखिलेश को एक साथ मंच पर लाने की कोशिश की तो अखिलेश तो तैयार हो गए थे, लेकिन मायावती ने पहले तो संकेत दिए कि वह आएंगी, पर बाद में वह नहीं गईं।
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उन्होंने साफ कह दिया कि वह कोई मंच तभी साझा करेंगी, जब पहले टिकटों को लेकर बात हो जाए। अब बीएसपी में अघोषित इमरजेंसी की बात कहने और मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाने वाले इंद्रजीत सरोज के सपा में आने से यह नाराजगी और बढ़ेगी।
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इंद्रजीत सरोज का फायदा मिल सकता है
सपा ने बीएसपी नेता इंद्रजीत सरोज को ठीक उसी दिन सपा में शामिल करवाया, जिस दिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लोकसभा से इस्तीफा देकर फूलपुर सीट खाली की। माना जा रहा है कि अब फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा को इंद्रजीत सरोज का फायदा मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि अभी पार्टी भले बाल कुमार पटेल को वहां से प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही है, लेकिन इंद्रजीत सरोज का नाम भी आखिर में फाइनल किया जा सकता है।
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