मिशकल मस्जिद कोझीकोड: आज देश में कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद बढ़ रहे हैं. अलग-अलग समुदायों के बीच मंदिर-मस्जिद, मकबरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर दावे किए जा रहे हैं. ऐसे माहौल में केरल की एक परंपरा सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भाव का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है.
आपकों बता दें कि हर साल रमज़ान के 22वें दिन मुस्लिम समुदाय के लोग केरल के कुट्टिचिरा में ज़मोरिन (मलाबार के पूर्व हिंदू शासक) के वंशजों के पास जाते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं.
बता दें कि कुट्टिचिरा एक मुस्लिम बहुल इलाका है, लेकिन यहां अन्य समुदायों के प्रमुख पूजा स्थल भी हैं, जैसे कि श्री भगवान कालिकुंड पार्श्वनाथ जैन मंदिर और गुजराती मंदिर. यहां सभी समुदाय सद्भाव से रहते हैं.
यह परंपरा पिछले एक दशक से निभाई जा रही है, ताकि लोगों को यह याद रहे कि केरल में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक मजबूत परंपरा रही है.ये मामला केरल के कुट्टिचिरा (पुराना नाम कालीकट) का है, जहां एक ऐतिहासिक मिशकल मस्जिद मौजूद है. यह मस्जिद 1510 में पुर्तगाली हमले का शिकार हुई थी, लेकिन तब वहां के हिंदू शासक ज़मोरिन ने मुस्लिमों की मदद की. इसे बचाने के लिए अपनी सेना भेजी और इसे बचा लिया गया.
1510 ई. में मिशकल मस्जिद पर हमला
1510 ई. में पुर्तगालियों के सेनापति अफ़ोंसो द अल्बुकर्क ने इस मस्जिद पर हमला कर इसे जलाने की कोशिश की. पुर्तगालियों का मकसद हिंदू शासकों (ज़मोरिन) और मुस्लिम व्यापारियों के बीच अच्छे संबंधों में दरार डालना था. जब ज़मोरिन को इस हमले की खबर मिली, तो उन्होंने 500 सैनिकों की एक सेना भेजी, जिसमें नायर योद्धा भी शामिल थे. इन सैनिकों ने मस्जिद की रक्षा के लिए स्थानीय मुस्लिमों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी. और कुछ ने इस संघर्ष में अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए. हालांकि मस्जिद का कुछ हिस्सा जल गया, लेकिन इसे पूरी तरह नष्ट होने से बचा लिया गया. यह यूरोपीय शक्तियों की भारत में पहली बड़ी हार थी.
यह मस्जिद आज भी खड़ी है और उस हमले के निशान समेटे हुए है.
ज़मोरिन ने कैसे लिया बदला?
ज़मोरिन ने 1571 में पुर्तगालियों से चालीयम किला छीन लिया, जो उनका एक मजबूत गढ़ था. इस जीत के बाद ज़मोरिन ने किले की लकड़ियों को निकालकर मिशकल मस्जिद की मरम्मत करवाई, ताकि पुर्तगालियों को करारी शिकस्त का एहसास हो.
आज के समय में इतिहास को जहां एक तरफ राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ा-मरोड़ा जाता है, वहीं मिशकल मस्जिद कि यह घटना बताती है कि अलग-अलग धर्मों के लोग साथ मिलकर भी एक-दूसरे की मदद कर सकते थे.
सच्चा इतिहास वह है जो समुदायों को जोड़ता है, न कि वह जिसे किसी खास एजेंडे के तहत तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है.