अडल्टरी केस महिलाओं पर चले या नहीं, तय करेगी संवैधानिक पीठ

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महिलाओं को अडल्टरी मामले में सजा दी जा सकती है या नहीं, इस मामले का परीक्षण अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ करेगी। आईपीसी की धारा-497 के तहत अडल्टरी के मामले में पुरुषों को दोषी पाए जाने पर सजा दिए जाने का प्रावधान है जबकि महिलाओं को नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामाजिक बदलाव के मद्देनजर लैंगिक समानता और इस मामले में दिए गए पहले के कई फैसलों के दोबारा परीक्षण की जरूरत है।

आईपीसी की किसी भी धारा में लैंगिक विषमताएं नहीं हैं

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया। अदालत ने कहा कि वह 1954 और 1985 के जजमेंट से सहमत नहीं है। गौरतलब है कि आईपीसी की धारा-497 के प्रावधान के तहत पुरुषों को अपराधी माना जाता है जबकि महिला विक्टिम मानी गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का कहना है कि महिलाओं को अलग तरीके से नहीं देखा जा सकता क्योंकि आईपीसी की किसी भी धारा में लैंगिक विषमताएं नहीं हैं।

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अडल्टरी से संंबंधित कानूनी प्रावधान को गैर संवैधानिक करार दिए जाने के लिए दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान है वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंधित बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उक्त महिला का पति अडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ और मामला दर्ज करने का प्रावधान नहीं है जो भेदभाव वाला है और इस प्रावधान को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए।

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि पहली नजर में धारा-497 संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है। अगर दोनों आपसी रजामंदी से संबंध बनाते हैं तो महिला को उस दायित्व से कैसे छूट दी जा सकती है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान की धारा-14 (समानता), 15 और 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरह से ये महिला के खिलाफ भी कानून है क्योंकि महिला को इस मामले में पति का प्रॉपर्टी जैसा माना गया है। अगर पति की सहमति हो तो फिर मामला नहीं बनता।

5 साल तक कैद की सजा हो सकती है

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक कोई भी पुरुष अगर किसी शादीशुदा महिला की मर्जी से संबंध बनाता है और महिला के पति की इसको लेकर सहमति नहीं है तो फिर ऐसे संबंध बनाने वाले शख्स के खिलाफ आईपीसी की धारा-497 के तहत अडल्टरी का केस दर्ज होगा और दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद की सजा हो सकती है।

(nbt)

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