पाक में सिरदर्द बना कांगो वायरस….ईद से पहले अलर्ट जारी, जानें क्या है यह बला ?

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कोरोना वायरस…मंकी पॉक्स….बर्ड फ्लू के बाद दुनिया में एक और बड़े वायरस ने कदम रखा है. इस वायरस ने सबसे पहले पाकिस्तान को अपनी चपेट में लिया है. जहां एक तरफ दुनिया में ईद-उल-अजहा की तैयारियां की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान को बकरीद से पहले एक जानलेवा वायरस ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है. इस वायरस का नाम है क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार इसे कांगो वायरस के नाम से भी जाना जाता है. इस खतरनाक वायरस को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने सभी नागरिको को बचाव करने का आदेश दिया है.

CCFH एक वायरल बुखार है, जिसका कारण टिक्स (मकड़ियों से संबंधित) नायरोवायरस है. पाकिस्तान में पिछले साल भी कांगो वायरस का प्रकोप हुआ था. 2023 में पाकिस्तान में इस बुखार के 101 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 25% लोग मर गए. फिलहाल, इस रोग का कोई उपचार या वैक्सीन नहीं है. ऐसे में आज हम जानेगें आखिर ये कांगो बुखार क्या है और यह हर साल पाकिस्तान के लिए मुसीबत क्यों बन जाता है ?

क्या होता है कांगो वायरस और कैसे फैलता है ?

कांगो वायरस को एक गंभीर वैश्वीक स्वस्थ खतरे के तौर पर जाना जाता है. अब तक के इसके मामले एशिया, अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व में दर्ज किए गए. इसका पहला मामला साल 1944 में क्रीमिया में मिला था. उस समय इस वायरस को क्रीमियन बुखार के नाम से जाना जाता था. इसके बाद साल 1960 में तकरीबन एक दशक के बाद इसकी समानता वाला कांगो बुखार सामने आया था. जिसके बाद से इसका नाम क्रीमियन -कांगो रक्तस्रावी कर दिया गया था.

यह वायरस पशुओं के शरीर से चिपके रहने वाले हिमोरल नामक टिक्स परजीवी जन्तु से इंसानों में कांगो वायरस के तौर पर फैलता है. यह वायरस टिक्स द्वारा काटने या संक्रमित जानवर के रक्त के संपर्क में आने से इंसानो में फैल जाता है. यह वायरस भेड़ और बकरियों में तेजी से फैलता है. इसके साथ ही प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार, यह कांगो वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने वाले किसी भी दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकता है.

पाक बना कांगो वायरस की चपेट में आने वाला एशिया चौथा देश

एशिया में कांगो वायरस की चपेट में आने वाले देशो की श्रेणी में पाकिस्तान एशिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है, पाकिस्तान के अलावा तुर्की,रूस और ईरान में यह वायरस पाया जा रहा है. पहली बार साल 1979 में पाकिस्तान कांगो वायरस की चपेट में आया था, तब से हर साल कभी बड़े तो कभी छोटे स्तर पर पाकिस्तान में कांगो वायरस के मामले सामने आते रहते है. इसकी वजह है कि, पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में जानवरो के पालन के दौरान आसावधानी बर्तना, पाकिस्तान में इस बीमारी के फैलने की यह मुख्य वजह मानी जाती है.

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बकरीद से कांगो का क्या है संबंध ?

इस्लामाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि, कांगो वायरस के फैलने के ज्यादा आसार बकरीद के मौके पर है. यही वजह है कि, इसको लेकर आदेश जारी किया गया है कि, ‘आने वाले ईद अल अजहा के चलते सभी प्रांतों से जानवरों की आवाजाही में बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम जनता और जानवरों के बीच संपर्क बढ़ गया है. इस वजह से कांगो बुखार फैलने का खतरा बढ़ गया है.’

क्योंकि, फिलहाल इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए लोगों को हाई-रिस्क वाले क्षेत्रों में सावधानी पूर्वक रहने की सलाह दी गई है. एडवाइजरी में पूरी बाजू पहनने और हल्के रंग के कपड़े पहनने की सिफारिश की गई है. इसके साथ ही हल्के रंग के कपड़े पहनने से टिक्स आसानी से देखने में मदद मिलेगी. कीड़ों को दूर रखने के लिए क्रीम भी लगाने की सलाह दी गई है.

 

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