“कोई सीमा नहीं है…खासकर प्यार और धर्म की।” : कौशिक गांगुली

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पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘बिसर्जन’ के निर्देशक कौशिक गांगुली का कहना है कि 1947 में हुए राज्य के राजनैतिक बंटवारे का अफसोस दोनों पक्ष के लोगों को है।

अबीर चटर्जी और जोया अहसान अभिनीत फिल्म की कहानी एक बांग्लादेशी हिंदू विधवा पर आधारित है, जो दोनों देशों के बीच बह रही पद्मा (भारत में गंगा ) नदी में बहकर बांग्लादेश की सीमा में आ आने वाले भारतीय मुस्लिम शख्स को बचाती है।

गांगुली ने हाल में दिल्ली में हुए हैबिटेट फिल्म महोत्सव के दौरान शूटिंग से जुड़े एक वाकये का जिक्र करते हुए आईएएनएस को बताया कि पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा टाकी पर फिल्मांकन करते समय बारिश के कारण उन्हें शूटिंग रोकनी पड़ी और यूनिट के सदस्यों और कलाकारों ने बांग्लादेश में बादलों को बनते हुए देखा और आधा घंटे के भीतर ही बादल सीमा पार पहुंच गए और टाकी (भारत) में बारिश होने लगी।

गांगुली के मुताबिक, “इसे कोई नहीं रोक सका। आप मछली, हवा, बादल का बंटवारा नहीं कर सकते और न तो कोई सीमा प्यार का बंटवारा कर सकती है।”

गांगुली ने कहा, “दो राज्य धर्म के आधार पर बंट गए..जो विभाजन था..जो पूर्वी पाकिस्तान था। अब हम इसे पूर्वी बंगाल कहते हैं और जहां मैं रहता हूं, वह पश्चिम बंगाल है।”

फिल्मकार के अनुसार, “हमें वास्तव में राजनीतिक विभाजन पर अफसोस है और उसके बाद ब्लॉगर की हत्या, ढाका के गुलशन कैफे (2016) में विस्फोट..बहुत सारी सांप्रदायिक घटनाएं घटित हो रही हैं। हम कम से कम जो काम कर सकते हैं, वह है फिल्म बनाना..जो प्यार सिखाती है।”

गौरतलब है कि 2015 में इस्लामी कट्टरपंथी विचारधाराओं की आलोचना के कारण एक जाने-माने धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर की हत्या कर दी गई थी।

गांगुली का मानना है कि फिल्में पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचने के लिए नहीं होती हैं, बल्कि प्रेम के संदेश का प्रसार करने और जागरूकता का प्रसार करने के लिए होती हैं और ऐसी फिल्में सार्थक साबित होती हैं।

उन्होंने कहा, “इससे लोगों की आम राय बनती है.. और यह सभी मामलों में मददगार साबित होगी। अगर आप बस भाषण देते रहे और लोगों को बताते रहे कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं और हिंदू-मुस्लिम बंटवारे में विश्वास नहीं रखते..तो यह काम नहीं करने वाला है।”

उन्होंने कहा कि बहुत व्यवसायिक और मनोरंजक फिल्म के जरिए भी कुछ सकारात्मक संदेश दिया जा सकता है और अगर आप फिल्म बनाने का कारण नहीं बता सकते तो फिल्म नहीं बनानी चाहिए।

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गांगुली (48) का कहना है कि किरदारों की पृष्ठभूमि सहित ‘बिसर्जन’ की पूरी कहानी धर्म निरपेक्षता का संदेश देती है। फिल्म के गानों, संगीत, किताबों के जरिए आहिस्ता-आहिस्ता इस संदेश का प्रसार किया गया है।

फिल्मकार ने कहा, “आम लोग अब भी अविभाजित हैं..बांग्लादेश और भारत (बंगाल) के नागरिक सिर्फ बंगाली हैं। जब रेडक्लिफ ने यह विभाजन रेखा खीचीं थी तो उन्होंने कहा था, ‘इस सीमा के लिए इतिहास मुझे माफ नहीं करेगा।’ यह एक पेंसिल का निशान है, जिसे आप आसानी से रगड़ कर मिटा सकते हैं।”

गांगुली के मुताबिक, “कोई सीमा नहीं है..खासकर प्यार और धर्म की।”

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