Parenting Tips : बेहतर परवरिश के लिए न मारे थप्पड़….अपनाएं ये तरीके

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Parenting Tips : गलतियों पर मार खाना तो हर एक शख्स के बचपन का किस्सा रहा है, चाहे वो फिर हमारा बचपन रहा हो या हमारे बच्चों का बचपन. थप्पड़ या अन्य किसी भी चीज से मारा जाना आम सी बात होती है और यह रीति सदियों से भारत में चलती आ रही है. हमारे माता – पिता से हमने और जब हम माता – पिता बनते हैं तो हमारे बच्चे तक इसकी पहुंच रही है. लेकिन बार-बार की गलतियों पर मारना-पीटना सही भी होता है, ताकि बच्चे में अनुशासन बना रहे.

लेकिन दुनियाभर में यह सर्वमान्य थ्योरी है कि बच्चों की ठीक से परवरिश करने के लिए उन्हें मारना जरूरी होता है. इस सोच से लोगों को निकालने के लिए दुनिया के तकरीबन 64 देशों में बच्चों पर बल प्रयोग (नारने-पीटने) को अपराध माना गया है. बावजूद इसके चार में से एक माता-पिता इसे बच्चे की भलाई मानते हुए बल का प्रयोग कर उन्हें सही राह पर चलने की सीख देने का प्रयास करते हैं. हालांकि, आधुनिकता के दौर में अब इस सोच में काफी हद तक बदलाव देखने को मिल रहा है. कनाडा के क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक अध्ययन में पाया गया है कि सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों में से आधे से अधिक माता-पिता ने स्वीकार किया कि वे अपने बच्चों को व्यवस्थित करने के लिए थप्पड़ मारा था। लेकिन अब विचार बदल रहा है.

यह है शारीरिक दंड

बच्चों के खिलाफ हिंसा का सबसे आम प्रकार शारीरिक सजा है, इसमें आमतौर पर मारना शामिल होती है. लेकिन इसमें थप्पड़ मारना, चुटकी काटना या लकड़ी के चम्मच, बेंत या बेल्ट का उपयोग करना भी शामिल है. निष्कर्ष थप्पड़ मारना वास्तव में काम नहीं करता और व्यवहार को समय के साथ बदतर बना देता है. यह बच्चों की आंतरिक समस्याओं, बच्चों की बढ़ती आक्रामकता, माता-पिता-बच्चे के खराब रिश्तों और खराब स्वास्थ्य से भी जुड़ा है. इसके विपरीत, कई अहिंसक पालन-पोषण रणनीतियां जो काम करती है. इसके लिए आप इन तरीको का इस्तेमाल करना चाहिए….

बेहतर परवरिश के लिए अपनाएं ये तरीके

शांति से करें बात

अगर बच्चा नहीं सुनता, तो उसे डांटने या चिल्लाने की बजाय शांत रहें. अपनी आवाज धीमी रखें. क्योंकि बच्चे बार-बार डांटने या चिल्लाने से बेशर्म हो जाते हैं और फिर उनपर किसी भी बात का कोई असर नहीं होता है.

बच्चों को सीधे से समझाएं अपनी बात

बच्चों को सीधे तरीके से अपनी बातें समझाने का प्रयास करें. उदाहरण के लिए- मैं आपसे पूछता हूं, “क्या आप अब बैठ सकते हैं ? की बजाय, कहना चाहिए, “कुर्सी पर बैठो और अपने खिलौने उठाओ” जब बच्चे अपने खिलौने उठाते हैं तो मां खुश होती है. इससे बच्चे का मन पिघलता है और अगली बार आपको इतना कहने का मौका न देते हुए आपकी बात तुरंत सुनेगा.

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एक समय पर दें एक आदेश

बच्चे एक बार में बहुत कुछ याद नहीं रख सकते है, इसलिए उन्हें बार-बार एक ही काम करने को कहें. वरना बच्चे परेशान हो जाते हैं और तेज आवाज में बोलने लगते हैं. इसलिए पहले काम को पूरा करने के बाद दूसरा काम करने का आदेश दें.

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