भाजपा ने बनाया दबाव, दिया प्रलोभन फिर भी नही थामा उनका दामन-राजेशपति

राष्ट्रनिर्माण की गांधी-नेहरू की परंपरा से बना जीवन का अटूट संस्कार, भाजपा के विचारों से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसा रिश्ता

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 कांग्रेस छोड़ना बड़ी भूल, पितामह स्व .पं. कमलापति की वैचारिक विरासत के विरुद्ध राजनीति की नहीं सोच सकते

वाराणसी में पं.कमलापति त्रिपाठी के वारिस पूर्व एमएलसी राजेशपति त्रिपाठी ने भाजपा पर दबाव व प्रलोभन देने का बड़ा आरोप लगाया है. औरंगाबाद स्थित आवास पर सोमवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि पार्टी में शामिल होने के लिए भाजपा की ओर से उन पर दबाव बनाया गया. प्रलोभन भी दिए गए लेकिन उन्होंने भाजपा का दामन नहीं थामा. राजेशपति ने स्वीकार किया कि कांग्रेस को छोड़ना उनकी भूल थी. कहा कि पितामह स्वं. पं. कमलापति त्रिपाठी के वैचारिक विरासत के विरुद्ध वे राजनीति की सोच भी नहीं सकते हैं.

भाजपा की नीतियों व सिद्धांतों पर हमला बोलते हुए राजेशपति ने कहा कि स्व. पं. कमलापति त्रिपाठी का लोकतंत्र में विश्वास था, जो सभी को वैचारिक आजादी देता है. फिर भी वह तो राष्ट्रनिर्माण की गांधी-नेहरू की परंपरा को जीवन का अटूट संस्कार मानते थे. जिसका संघ व भाजपा के विचारों से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जैसा रिश्ता है. इसमें मेल संभव नहीं है. अतः उनके वंश का नाम लेकर हम भाजपा की राजनीति करें तो वह उनकी वैचारिक विरासत के विरुद्ध होगा.

इस विश्वास के नाते हम शेष जीवन खेती करके बिता सकते हैं, लेकिन पितामह पं. कमलापति की वैचारिक विरासत के विरुद्ध राजनीति की नहीं सोच सकते. निजी वजहों से मैं और विधायक रहे मेरे पुत्र ललितेशपति तीन वर्ष पूर्व कांग्रेस से अलग हुऐ थे, लेकिन हम दादा व पिता की वैचारिक विरासत से दूर नहीं हो सकते. हमको बड़े प्रलोभन व दबाव भाजपा में शामिल होने के लिए आए लेकिन हम पूर्वजों के संस्कार से धोखा तो नहीं कर सकते थे. अतः 1980 से पं. कमलापति त्रिपाठी से अनन्य भाव से जुड़ी रही ममता बनर्जी के आग्रह पर हम उनसे जुड़े.

सोनिया व राहुल का मिला आशीर्वाद तब भदोही से उतरे ललितेश

बीते विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मड़िहान सीट ललितेशपति के पक्ष में तृणमूल कांग्रेस के लिए छोड़ी. पं. कमलापति त्रिपाठी के विचारों की विरासत के तकाजों पर जब ’इंडिया’ बना तो पं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ललितेशपति को भदोही से चुनाव लड़ने को कहा. इसके साथ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी का आशीर्वाद भी जुड़ा, तब चुनाव मैदान में ललितेशपति भदोही से उतरे हैं.

धर्म की राजनीति को पाप मानते थे पं. कमलापति

पं. कमलापति त्रिपाठी धर्मनिष्ठ थे, लेकिन धर्म की राजनीति को पाप मानते थे. देश की राजनीति में आज जो खतरे महसूस किये जा रहे, उसे दक्षिणपंथी फासिस्ट व सांप्रदायिक राजनीति का गंभीर खतरा बता कर कमलापति त्रिपाठी ने वर्ष 1988 में ही आगाह किया था. उन्होंने 22 सितंबर 1988 को उस उभरते खतरे के खिलाफ पत्र लिखकर लोकतंत्र व समाजवादी विचारों में विश्वास वाली लोकतांत्रिक दलों के अलावा वामपंथी ताकतों को एकजुट होने के लिये आह्वान किया था. उनकी दूरदृष्टि की अनदेखी हुई. आज उसी खतरे का सामना करने के लिये समान विचारों के सभी घटकों ने ’इंडिया’ बनाया है. अतः ’इंडिया’ की वर्ष 2024 के चुनाव में सफलता कमलापति त्रिपाठी की वैचारिक विरासत से जुड़ा हमारा युगधर्म है. संस्कारों के नाते हम उस धर्म के साथ हैं और लोगों से देश व लोकतंत्र के हित में भाजपा सरकार को हटाने की अपील करते हैं.

जल्द ही घर लौट आएंगे सोमेशपति

राजेशपति ने भाजपा में शामिल हुए परिवारिक सदस्य सोमेशपति त्रिपाठी के सवाल पर कहा कि यह घर का मामला है. उन्हें स्व. पं. कमलापति त्रिपाठी के विचारों को याद दिलाया जाएगा. समझाया जाएगा. पूरी उम्मीद है कि वह जल्द घर लौट आएंगे. राजेशपति ने भाजपा की नीतियों की अलोचना की.

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