अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद पर लगाया 1000 रुपये जुर्माना
बार बार स्थगन देने पर अदालत ने जताई नाराजगी
वाराणसी में ज्ञानवापी विवाद से जुड़े के एक मामले में सिविल जज सिनियर डीविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रशांत सिंह की अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है. सख्त लहजे में आदेशित किया कि यह स्थगन इस शर्त के साथ स्वीकार किया गया है कि अब और कोई स्थगन स्वीकार नहीं होगा.
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कमेटी की ओर से बार-बार स्थगन प्रार्थना देने पर विवेक सोनी व जयध्वज श्रीवास्तव के अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय ने कड़ी आपत्ति की. उन्होंने कहा कि प्रकरण में अस्थाई निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र पर आठ सप्ताह में आदेश पारित करने का हाइकोर्ट का निर्देश है. चूंकि मुकदमे में विपक्षी की तरफ से आर्डर 7 रुल 11 का प्रार्थना पत्र लंबित है. लिहाजा इस दरख्वास्त पर सुनवाई पूरी कर अस्थाई निषेधाज्ञा पर सुनवाई की जाय. अदालत ने इस तथ्य से सहमत होते हुए आदेश दिया कि पहले आर्डर 7 रूल 11 पर आठ मई को सुनवाई पूरी कर अदालत अस्थाई निषेधाज्ञा पर सुनवाई करेगी. अंजुमन इंतजामिया कमेटी को चेतावनी दिया कि अब और कोई स्थगन स्वीकार नहीं होगा. बता दें कि पिछली तारिख पर स्थगन देने पर अदालत ने 300 रुपये का जुर्माना ठोका था.
इस प्रकरण पर हो रही है सुनवाई
प्रकरण के मुताबिक बजरडीहा भेलूपुर के विवेक सोनी व चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव ने अपने अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय के माध्यम से सिविल जज सीडी की अदालत में 25 मई 2022 को याचिका दाखिल किया था. अदालत से गुहार लगाई कि जरिये अन्तरिम निषेधाज्ञा विपक्षीगण को मना किया जाय कि वे आदि ज्योतिलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ जो नंदीजी की मूर्ती के सामने है, जिसे कूप बनाकर कथित ज्ञानवापी मस्जिद से संबधित लोगों द्वारा ढंक दिया गया है. इसका पूजा पाठ, भोग, प्रसाद, शयन आरती, मंगला आरती, दुग्धाभिषेक आदि कार्य में विधि विरूद्ध तरीके से कोई अवरोध या व्यवधान ना डालें.
मामले में पांच को विपक्षी बनाया गया
मुकदमे में यूपी सरकार जरिये मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास बोर्ड जरिये मुख्य कार्यपालक अधिकारी, अंजुमन इन्तेजामिया मसाजिद बनारस समेत कुल पांच लोगों को विपक्षी बनाया गया है. जब विचारण न्यायालय ने अन्तरिम निषेधाज्ञा आदेश का निस्तारण नही किया तो वादी ने हाइकोर्ट की शरण ली. हाइकोर्ट ने सिविल जज सी डी को आठ सप्ताह में इस प्रार्थना पत्र का निस्तारण करने का निर्देश जारी किया था.