मध्य प्रदेश ही नहीं राजस्थान में भी है सरकार को खतरा!

कांग्रेस ने यदि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट को सीएम बनाया होता तो पूरे देश में उसकी नई सोच का संदेश जाता

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एस अनिल

कांग्रेस हाईकमान समय के साथ नहीं बदली नतीजा सामने है कि पांच साल भी उनकी राज्य सरकार चल नहीं पा रही, जोड़ तोड़ शुरू है। कांग्रेस नेतृत्व को चुनाव बाद पब्लिक ओपिनियन और नई पीढ़ी के टेस्ट को देखते हुए सत्ता सौंपना चाहिए था। कांग्रेस नेतृत्व यहीं चूकी नतीजा है कि मध्यप्रदेश में आज कमलनाथ सरकार धड़ाम हो रही है। जब तक युवाओं (नई पीढ़ी) को अवसर नहीं देंगे तब तक वह कहां अनुभव हासिल करेंगे।

कांग्रेस ने यदि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट को सीएम बनाया होता तो पूरे देश में उसकी नई सोच का संदेश जाता। दोनों सीनियर नेताओं अशोक गहलोत और कमलनाथ को केंद्रीय राजनीति में लाकर दल को मजबूत करते। अब सिंधिया का कांग्रेस से इस्तीफा हो चुका है। कुर्सी दौड़ शुरू हैं। देखने की बात होगी कि वह कितने विधायकों के साथ पृथक होते हैं और किस तरह दल बदल कानून से अपने आपको बचाते हैं।

वैसे कमलनाथ इस्तीफे के साथ विधानसभा भंग की सिफारिश कर सकते हैं लेकिन राज्यपाल उसे स्वीकार करें ऐसा संभव नहीं लगता। ऐसे में टूटे विधायकों का समूह पृथक दल बनाकर सरकार बनाने का दावा कर सकता है ‌। इसमें सिंधिया की भूमिका क्या होगी। भाजपा उन्हें अपने राज्य के नेताओं को माइनस कर स्थापित करेगी या केंद्र में मंत्री बनाएगी। इस तरह के सवालों के जवाब कुछ घंटों में सामने आने लगेंगे।

कांग्रेस भविष्य का कोई मिशन लेकर नहीं चल रही है। इस दल में काबिल लोगों की कमी नहीं लेकिन उनके पास काम नहीं है सब हाईकमान के इशारे पर निर्भर हैं। हाईकमान समय में आए बदलाव को आंकने में विफल है। राजस्थान में भी सचिन पायलट खेमा जोर बांध सकता है इसका भाजपा सहजता से लाभ उठा लेगी। हालांकि अशोक गहलोत सहज और मजे राजनीतिज्ञ हैं वह कमलनाथ जैसी गलती नहीं कर सकते। वह सबको साथ लेकर चलने में माहिर हैं। लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।

कांग्रेस नेतृत्व के लिए कठिन समय है उसे संयम का परिचय देना होगा और दल के भीतर पनपे असंतोष को नियंत्रित करें। वह चाहे कोई भी राज्य हो जब आप अपने लोगों से सीधा संवाद नहीं करेंगे और योजनाबद्ध तरीके से नहीं चलेंगे तो विपक्ष जोड़-तोड़ कर बराबर नीचा गिराने की कोशिश करेगा। वह भी आज की भाजपा तो कोई कसर छोड़ने वाली नहीं।

(लेखक एस अनिल लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे कई बड़े अखबारों में भी वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं।)

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