जानें बच्चों को Sex Education देने की क्या है सही उम्र ?

ज्ञान के मंदिर में माता - पिता जलाएं यौन शिक्षा का दीपक...

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Sex Education: इसमें कोई शक नहीं कि हर किसी के लिए यौन शिक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों और युवा वयस्कों को सही समय पर इसकी सही जानकारी दी जानी चाहिए. ऐसा इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि बच्चे एक निश्चित उम्र में अपने आसपास होने वाली हर चीज के बारे में अधिक जानना चाहते हैं. उनके शरीर में भी उम्र के साथ बदलाव होने लगते हैं.

इस बदलाव को जानने के लिए वे इंटरनेट, टीवी, फिल्म और अश्लील बुक्स और मैग्जीन का प्रयोग करते हैं. लेकिन यौनशिक्षा के लिए इंटरनेट, टीवी, फिल्म और अश्लील बुक्स और मैग्जीन काफी नहीं है. ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को सही समय पर सही जानकारी देनी होगी ताकि वे इसके लिए बाहरी साधनों पर भरोसे न रहे, जो उन्हें नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. यद्यपि हर बच्चा अलग-अलग होता है, उनके विचारों और समझने की क्षमता भी अलग-अलग होती है. यही कारण है कि बच्चे को उम्र के अनुरूप सेक्स से संबंधित जानकारी दी जानी चाहिए. चलिए पता लगाते हैं कि किस उम्र में बच्चे को कितनी यौन शिक्षा दी जानी चाहिए.

13 से 14 माह में..

बच्चे के जन्म से ही सेक्स एजुकेशन की शुरुआत करें. बच्चा हमारी तरह आम आदमी है और हर आदमी में सेक्स की भावना होती ही है. बच्चे में जन्म से ही यह भावना रहती है. इसलिए वह अपने हर अंग को जानने के लिए उत्सुक रहता है. ज्यादातर पेरेंट्स इस बात पर ध्यान नहीं देते और अपने बच्चे की हरकतों को अनदेखा करते रहते हैं. इस उम्र में टॉडलर्स को प्राइवेट पार्ट सहित शरीर के सभी अंगों के नाम बताना चाहिए. उन्हें शरीर के अंगों के सही नाम सिखाने से आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि वह बेहतर ढंग से स्वास्थ्य समस्याओं, चोटों या यौन शोषण के बारे में जान पाएगा.

2 से 4 वर्ष की आयु में….

आप बच्चे को उनकी समझ और ज्ञान के आधार पर उनके उनके जन्म की कहानी बता सकते हैं. आपको सारे विषय को एक बार में नहीं समझना चाहिए. छोटे बच्चे सेक्स की अपेक्षा गर्भावस्था और शिशु जन्म में अधिक रुचि रखते हैं. उन्हें भी बताना चाहिए कि उनका शरीर उनका है और कोई भी उनकी अनुमति के बिना उसे छू नहीं सकता है. इस उम्र में बच्चे को किसी और को छूने से पहले पूछने का भी अभ्यास करना चाहिए. साथ ही, पेरेंट्स को अपनी लिमिटेशन का ज्ञान देना चाहिए.

5 से 8 वर्ष की आयु में…

इस उम्र में बच्चे को सेक्स एजुकेशन का मूल ज्ञान होना चाहिए. इस उम्र में बच्चे अपने माता-पिता पर काफी भरोसा करते हैं. माता-पिता की बातों पर वे अधिक ध्यान देते हैं, इसलिए अपने बच्चों के सामने ऐसी कोई हरकत न करें, जो उनके मन में आपकी खराब छवि पैदा करें. जब पेरेंट्स अपने बच्चों को सेक्स के बारे में गलत जवाब देते हैं, तो उनका विश्वास डगमगाने लगता है. इस उम्र में बच्चे के मन में कई सवाल आते हैं जो जानने के लिए पूरी कोशिश करते हैं. बच्चे को बताएं कि इस उम्र में ट्रांसजेंडर, लड़का और लड़की में क्या अंतर है. भी उसके प्रश्नों का जवाब दें समझदारी के साथ दें.

9 से 12 वर्ष की आयु में…

प्री-टीन्स बच्चे की सबसे नाजुक उम्र मानी जाती है. इस उम्र में कुछ बच्चे भी पीरियड्स का सामना करने लगते हैं. इसलिए इस उम्र में बच्चे को दी गई जानकारी जीवन भर याद रहती है. प्री-टीन्स को सुरक्षित सेक्स और गर्भनिरोधक उपायों का ज्ञान होना चाहिए. इस उम्र में बच्चे को गर्भावस्था और सेक्सुअल ट्रांसमिटेड बीमारियां के बारे में बहुत कुछ पता होना चाहिए. उन्हें पता होना चाहिए कि किशोर होने का अर्थ सेक्सुअल रूप से एक्टिव नहीं होना होता है. उन्हें पॉजेटिव रिश्ते क्या होते हैं और क्या रिश्ते को खराब कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्हें सेक्सुअल बुली करने, डराने और धमकाने के बारे में जानकारी दें. पेरेंट्स की सेक्सटिंग सहित इंटरनेट सुरक्षा के बारे में भी बताएं.

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13 से 18 वर्ष की आयु में…..

यह उम्र बच्चे के लिए काफी कठिन होती है. इस उम्र में बच्चे के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, इसलिए बच्चे को पॉजेटिवली लेना बहुत महत्वपूर्ण है. टीनेज में अक्सर पीरियड्स, नाईट फॉल और स्लीप ऑर्गेज्म शुरू होते हैं. इसलिए बच्चे को सही जानकारी दी जानी चाहिए. उन्हें गर्भनिरोधक उपायों के बारे में बताना चाहिए. साथ ही सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए. इसके साथ ही उन्हें सुरक्षित यौन संबंध बनाने और उनका उपयोग करने की भी जानकारी होनी चाहिए. इसके अलावा, बच्चों को यौन संबंधों में सहमति का मतलब भी समझाना महत्वपूर्ण है. इस उम्र में बच्चों को सही जानकारी दें, क्योंकि वे बहुत कुछ सीखना और समझना चाहते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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