हिरासत में 200 अमीर, सम्पत्ति जब्त करेगा सऊदी

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सऊदी अरब में दो हफ्ते पहले नाटकीय तरीके से 200 से ज्यादा रईसों को गिरफ्तार किया गया। इनमें कई राजकुमार भी शामिल थे। एक बड़े उद्योगपति को बिजनस मीटिंग के लिए विदेश से बुलाया गया पर लौटते ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया। एक अरबपति को किसी अपराधी की तरह गिरफ्तार किया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी को एक हमले पर चर्चा के लिए बुलाया गया, पर चर्चा कभी नहीं हुई।
भ्रष्टाचार के जरिए ये संपत्तियां जमा की हैं
इन सभी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अब रियाद के आलीशान होटल में हिरासत में रखे गए 200 से ज्यादा अमीरों के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। सरकार इन लोगों की अरबों डॉलर की संपत्तियों को जब्त करना चाहती है। सरकार का मानना है कि इन लोगों ने भ्रष्टाचार के जरिए ये संपत्तियां जमा की हैं।
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सऊदी अधिकारी और उनके समर्थक इस अनिश्चितकालीन हिरासत को उचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं और पश्चिमी देशों के अभियोजकों द्वारा वाइट कॉलर क्रिमिनल्स के लिए अपनाए जाने वाले अप्रोच से इसकी तुलना कर रहे हैं। जबकि मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह तुलना सही नहीं है क्योंकि यहां आरोपी को कानूनी संरक्षण नहीं है और न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है।
कोर्ट केस से बचने से आरोपियों का ही फायदा है
ह्यूमन राइट्स वॉच के मध्य पूर्व के शोधकर्ता ऐडम कूगल ने कहा, ‘अगर सऊदी अधिकारी आरोपी के बचाव के लिए कानूनी मदद नहीं देते हैं तो इस कदम को जबरन कार्रवाई ही कहा जाएगा।’ उधर, सऊदी के फैसले के समर्थक कह रहे हैं कि कोर्ट केस से बचने से आरोपियों का ही फायदा है। वॉशिंगटन में एक शोध संस्थान के कार्यकारी निदेशक अली शिहाबी ने कहा, ‘हो सकता है कि मामले को सुलझाने के लिए हिरासत में लिए गए लोग अपनी संपत्तियों को सरकार को सौंप दें।’ जो लोग नहीं मानेंगे उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई शुरू होगी।
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गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर रईसों की संपत्ति विदेश में है। समस्या यह है कि अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड या दूसरे देशों से सऊदी अमीरों की संपत्ति को जब्त करने के लिए सरकार को दिखाना होगा कि इस पूरी कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया और मानवाधिकार के मानकों का पालन किया गया है। इसके बाद ही सऊदी के बचाव पक्ष के पास पश्चिमी देशों की अदालतों में अपील करने का अधिकार होगा। यह प्रक्रिया लंबी और देश के लिए चिंताजनक हो सकती है क्योंकि सरकार नहीं चाहती कि प्राइवेट प्रॉपर्टी के बारे में दुनिया को पता चले।
उनके अपने कहां और किस हालत में हैं
एक विशेषज्ञ ने कहा कि न्यायिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पाने के लिए मानवाधिकार एक महत्वपूर्ण पहलू है। हिरासत में लिए गए कई लोगों के नाम लीक हुए हैं पर सरकार ने प्रिवेसी लॉ का हवाला देते हुए अलग-अलग मामलों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारवालों को भी ठीक-ठीक नहीं पता है कि उनके अपने कहां और किस हालत में हैं।
(साभार – एनबीटी)
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