प्रद्युम्न मर्डर : 'जीते जी मैंने नरक भोग लिया' : अशोक

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रायन इंटरनैशनल स्कूल के दूसरी के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कंडक्टर अशोक को बुधवार को जेल से रिहा किया गया। पुलिस ने अशोक को जेल के पिछले गेट से निकाला। 75 दिन बाद भोंडसी जेल से निकलकर वह घामडौज में अपने घर पहुंचा।
भगवान व मीडिया का धन्यवाद करता है
बीमार व परेशान नजर आ रहा अशोक शॉल ओढ़े मीडिया से रूबरू हुआ और बताया कि जेल में उसे किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, लेकिन पुलिस हिरासत के दौरान उसने जीते जी नरक भोग लिया है। उसे इस कदर टॉर्चर किया गया कि अब वह सब सोचते हुए भी रूह कांपती है। आखिरकार वह बाहर आ गया और इसके लिए वह भगवान व मीडिया का धन्यवाद करता है ।
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अशोक ने कहा कि पुलिस हिरासत के दौरान मैंने जीते जी नरक भोग लिया है। मुझे इस कदर टॉर्चर किया गया कि अब सब सोचते हुए भी रूह कांपती है।  अशोक की पत्नी ममता ने बताया कि पति के घर लौटने की जितनी खुशी है, उतना ही दुख प्रद्युम्न की मौत का भी है। ममता ने कहा कि पुलिस ने अशोक को उल्टा लटकाकर मारा, टॉर्चर किया और गुनाह कबूलने के लिए नशा भी दिया। मामले में करीब पौने 9 बजे गांव से ही डॉक्टर बुलाया गया।
करीब पौने 9 बजे गांव से ही डॉक्टर बुलाया गया
हमें पूरी उम्मीद है कि सीबीआई जांच पूरी कर दोषी को सजा दिलाएगी। साथ ही इस हत्याकांड में अशोक को फंसाने वालों के खिलाफ भी सीबीआई को कार्रवाई करनी चाहिए। अशोक की मां केला देवी ने बताया कि बेटे के घर आने की बेहद खुशी है। उसके लिए हरा साग और दाल-रोटी बनाकर रखी है। बेटे की तबीयत कुछ खराब होने की सूचना मिली है लेकिन अब सब ठीक हो जाएगा। वहीं, अशोक को बुखार के चलते रात करीब पौने 9 बजे गांव से ही डॉक्टर बुलाया गया। डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाकर दवा भी दी। पूरे दिन गहमागहमी के बाद बुधवार शाम 7 बजकर 11 मिनट पर अशोक को जेल के कादरपुर रोड स्थित पिछले गेट से छोड़ा गया।
सफेद रंग की स्कॉर्पियो में चेहरा ढंककर ले जाया गया
पुलिस उसे भोंडसी एसएचओ की सरकारी जिप्सी के जरिये जेल से बाहर निकाल ले जाना चाहती थी। इसके लिए भोंडसी एसएचओ यहां पहुंचे भी। लेकिन जेल के अंदर दाखिल हुए अशोक के परिजन व वकील मोहित वर्मा ने इस पर हामी नहीं भरी। उन्होंने कहा कि अब हम गुड़गांव पुलिस पर कतई भी भरोसा नहीं कर सकते। इसके बाद अशोक को गांव घामडौज के एक परिचित की सफेद रंग की स्कॉर्पियो में चेहरा ढंककर ले जाया गया।
फिर वह सबके सामने आकर बातचीत करेगा
इस स्कॉर्पियो में अशोक की बेल बॉन्ड के लिए जमीन के दस्तावेज देने वाले महेश राघव, पिता अमीचंद, गांव के ही सुमित और संदीप मौजूद थे। स्कॉर्पियो से अशोक को उसके घर ले जाने के बजाय करीब 100 मीटर दूर स्थित एक पड़ोसी के घर ले जाया गया। जैसे ही मीडिया प्रतिनिधि यहां पहुंचे तो ग्रामीणों ने कहा कि अभी कुछ देर उसे आराम से रुकने दें, फिर वह सबके सामने आकर बातचीत करेगा।
(साभार – एनबीटी)
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