भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह शराब की दुकानों पर लगने वाली भीड़भाड़ को देखते हुए शराब की होम डिलिवरी Home delivery पर विचार करे।
इसके साथ ही सर्वोच्च कोर्ट ने शराब की दुकानें बंद करने की याचिका खारिज कर दी है।
ज्ञात हो कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शराब की दुकानों को खोलने का फैसला लिया गया है।
तीसरे चरण की शुरुआत 4 मई से
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश में लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत 4 मई से हो गई है। लॉकडाउन के तीसरे चरण में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शराब की दुकानों को खोलने का फैसला लिया गया है। शराब की दुकानें खुलने के बाद कई जगह पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई दीं।
सरकारों का नीतिगत मसला
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में शराब की दुकानों को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह राज्य सरकारों का नीतिगत मसला है और वो Home delivery या ऑनलाइन व्यवस्था कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य सरकारों को किसी तरह का आदेश नहीं दे सकते। लेकिन सरकारों को Home delivery या डायरेक्ट बिक्री जैसी व्यवस्थाओं पर विचार करना चाहिए।
बंद कराने की मांग की गई
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री को लेकर सुप्रीम कार्ट में एक याचिका दायर की गई थी और इसे बंद कराने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि शराब की दुकान खोले जाने से बहुत से लोग सड़कों पर निकल आए हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा।
ऐसे में शराब की सभी दुकानों को बंद कर दिया जाना चाहिए। याचिका की पैरवी कर रहे वकील जे साईं दीपक ने कहा कि शराब की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है।
कोई आदेश जारी नहीं कर सकते
सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि राज्य सरकारें शराब की Home delivery के बारे में सोच रही हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आर्टिकल-32 याचिका के जरिए आप हमसे क्या चाहते हैं? इस पर वकील साईं दीपक ने कहा कि मैं चाहता हूं कि आम आदमी की जिंदगी शराब की दुकानें खुलने के कारण प्रभावित न हों। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं कर सकते।
राज्य सरकारें इस बात पर ध्यान दें कि शराब की दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो और हो सके तो इसकी Home delivery सुनिश्चित की जा सके। इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी।
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