शेयर बाजार: 1990 के दशक से अब तक भारतीय शेयर बाजार ने कई बड़े संकटों का सामना किया है, जिनमें हर्षद मेहता घोटाला, एशियन फाइनेंशियल क्राइसिस, डॉट-कॉम बबल, 2008 की वैश्विक मंदी, नोटबंदी और कोरोना महामारी जैसे झटके शामिल हैं. इसके बावजूद, जो निवेशक धैर्य बनाए रखते हुए बाजार में टिके रहे, उन्होंने लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा कमाया.
विशेषज्ञों का मानना है कि सफल निवेशकों ने न तो बाजार की टाइमिंग करने की कोशिश की, न ही एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणियों पर पूरी तरह निर्भर रहे. उन्होंने सिर्फ नियमित निवेश को प्राथमिकता दी और बाजार की हलचल के बावजूद घबराने से बचा.
SIP रणनीति बनी कारगर
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बाजार में बने रहने और भावनात्मक फैसले लेने से बचने का एक कारगर तरीका है. यह निवेश को एक अनुशासित आदत में बदल देता है, जिससे निवेशक बाजार की अस्थिरता से प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
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क्या है SIP?
सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) एक निवेश विधि है, जिसमें निवेशक नियमित अंतराल पर (जैसे मासिक या त्रैमासिक) एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं. यह विधि निवेशकों को अनुशासनबद्ध तरीके से निवेश करने में सहायता करती है और लंबी अवधि में संपत्ति निर्माण में सहायक होती है.
SIP के प्रमुख लाभ
- बाजार की अस्थिरता के बावजूद, नियमित निवेश से आप अधिक यूनिट्स कम कीमत पर और कम यूनिट्स उच्च कीमत पर खरीदते हैं, जिससे औसत लागत कम होती है.
- लंबी अवधि में नियमित निवेश से अर्जित रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है, जिससे आपकी राशि तेजी से बढ़ती है.
- SIP निवेशकों को नियमित और अनुशासित निवेश की आदत विकसित करने में मदद करता है. साथ ही, यह लचीलापन प्रदान करता है, जिससे आप अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार निवेश राशि को समायोजित कर सकते हैं.
- SIP के माध्यम से आप छोटी राशि से भी निवेश शुरू कर सकते हैं, जिससे यह सभी वर्ग के निवेशकों के लिए सुलभ होता है.
लंबी अवधि के निवेश पर जोर
निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान घबराने के बजाय खुद से यह पूछना चाहिए कि उनके मौलिक निवेश सिद्धांतों में कोई बदलाव आया है या नहीं. यदि उन्होंने क्वालिटी स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स में लंबी अवधि की संभावनाओं के आधार पर निवेश किया है, तो केवल मूल्य में गिरावट के कारण घबराने की जरूरत नहीं है.
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भावनात्मक फैसलों से बचने की सलाह
विशेषज्ञों के मुताबिक, सफल दीर्घकालिक निवेशक अक्सर बाजार में गिरावट के दौरान अपने पोर्टफोलियो की बार-बार जांच करने से बचते हैं. वे जल्दबाजी में एक्सपर्ट्स की राय के पीछे नहीं भागते और न ही बाजार की अस्थिरता के आधार पर अपनी रणनीति बार-बार बदलते हैं.
विश्लेषकों का कहना है कि बाजार की हलचल को नजरअंदाज करना भी एक महत्वपूर्ण निवेश कौशल है. इसलिए, जब बाजार में गिरावट दिखाई दे, तो बेहतर होगा कि घबराने के बजाय ठंडे दिमाग से सोचें. बाजार हमेशा रहेगा, लेकिन चिंता दूर हो जाए तो यह किसी भी निवेश रणनीति से अधिक मूल्यवान हो सकता है.