क्या मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी हैं हकीकत जान हो जाएंगे हैरान ?
आपने धरती पर अज्वालामुखी को धधकते हुए देखा होगा. लावा फूटता है और चारों ओर आग ही आग बहने लगती है. ऐसे में आज हम आपको मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी के बारे में बताने जा रहे हैं. फिल्हाल तो यह शांत अवस्था में है और फूटकर लावा नहीं बहता. यह सौरमंडल के सबसे ऊंचे पहाड़ पर मौजूद है, यह पहाड़ धरती पर मौजूद माउंट एवरेस्ट से भी तीन गुना ऊंचा है. तकरीबन 20 साल पहले इसे कैप्चर किया गया था और तब साइंटिस्ट भी इसे देखकर हैरान रह गए थे.
इसे लेकर क्या कहते हैं साइंटिस्ट
साइंटिस्ट मानते हैं कि आज से करोड़ों साल पहले मंगल ग्रह पर पानी था. बिल्कुल धरती की ही तरह यहां भी महासागर थे. साथ में ये भी कहा जाता है कि इन महासागरों से भी ऊंचे यहां ज्वालामुखी हुआ करते थे. बाद में कुछ तस्वीरें और वीडियोज भी आए. इसे सौरमंडल का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स कहा जाता है. फिल्हाल यह शांत है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तब बना होगा, जब लाखों साल पहले पहाड़ के शिखर से बेहद गर्म लावा निकला और आकर यहां जम गया.
फ्रांस के 70 फीसदी हिस्से के बराबर
शोधकर्ताओं का यह भी मानना था कि गर्म लावा नीचे आकर बर्फ और पानी में गिरा, जिसकी वजह से भूस्खलन हुआ और ज्वालामुखी के टुकड़े 1000 किलोमीटर तक जाकर फैल गए. करोड़ों वर्षों में कठोर होने के कारण यह सिकुड़ गए. ओलंपस मॉन्स की कुल ऊंचाई 26 किलोमीटर आंकी गई है. जबकि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई सिर्फ 8.8 किलोमीटर है. यह एक विशालकाय शील्ड ज्वालामुखी है. यह इतना बड़ा है कि पूरे फ्रांस का करीब 70 फीसदी हिस्सा कवरकर ले.
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कम है मंगल पर गुरुत्वाकर्षण बल
मंगल में कई बड़े-बड़े पर्वत हैं. ऐसा वहां गुरुत्वाकर्षण बल कम होने के कारण है. दरअसल, मंगल परटेक्टोनिक प्लेट्स ना होने के साथ-साथ गुरुत्वाकर्षण बल कम है जिसके कारण वहांपर्वतों की ऊंचाई पृथ्वी के मुकाबले अधिक होती है. इसलिए ओलम्पस पर्वत, जो कि एकज्वालामुखी पर्वत है, कि ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से तीन गुनाज्यादा है. ओलम्पस पर्वत हमारे सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत है. ये पर्वत एक पठारकी सीमा निर्धारित करते हैं, जहां तीनों ज्वालामुखी पर्वत धरातल पर हावी हैं.
written by – Harsh Srivastava