निकाय चुनाव में बंपर जीत के बाद बढ़ गया योगी का कद

यूपी के निकाय चुनावों में हुई बीजेपी की बंपर जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद यूपी की राजनीति समेत बीजेपी खेमे में और भी ऊंचा हो गया है। योगी के नेतृत्व में यह अहम चुनाव लड़ा गया। इस चुनाव के मद्देनजर उन्होंने राज्यभर में 34 रैलियां कीं। बीजेपी की इस बड़ी जीत के साथ ही लोकप्रियता की परीक्षा में योगी अच्छे नंबरों से पास हो गए।

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए भी संदेश छिपा हुआ है

यह खुद को खतरे में डालने जैसा ही था क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद योगी से उम्मीदें ज्यादा थीं और निकाय चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में ऊंच-नीच होने पर उनकी छवि पर सीधे-सीधे इस बात का असर पड़ता। निकाय चुनाव के इन नतीजों में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए भी संदेश छिपा हुआ है।

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इस जीत का इस्तेमाल बीजेपी गुजरात के विधानसभा चुनावों में भी करेगी। बीते दो सालों में बीजेपी ने महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के निकाय चुनावों में जोरदार जीत से बढ़त हासिल की है। इसके अलावा ओडिशा और बेंगलुरु के निकाय चुनावों में भी बीजेपी ने जीत हासिल कर मजबूती का संकेत दिया है। लेकिन, अब देश के सबसे बड़े सूबे में निकाय चुनाव की जीत से बीजेपी को गुजरात में बड़ी बढ़त मिलने के आसार बन रहे हैं।

माया, मुलायम और अब योगी 

निकाय चुनाव के नतीजों ने योगी को यूपी में एक निर्विवाद नेता के रूप में सामने रखा। प्रदेश की राजनीति में कद्दावर माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव और मायावती के साथ अब योगी ने भी अपना स्थान बना लिया है। यूपी बीजेपी में सिर्फ कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह ने इस कद का आनंद लिया है।

वोट बैंक मजबूत करने के लिए खेला यह दांव 

कार्यालय संभालने के 8 महीनों बाद योगी ने हिंदुत्व और सुशासन के रूप में सफलता हासिल की है। अयोध्या से अभियान की शुरुआत, दीपावली का भव्य उत्सव, राज्य सचिवालय को भगवा कराने के साथ ही योगी ने पार्टी का वोटबैंक मजबूत करने के लिए हिंदुत्व कार्ड खेला। इसी दौरान उन्होंने अधिकारियों की जवाबदेही, कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए स्वतंत्रता प्रदान करने जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए।

 बीजेपी की दुविधा को किया खत्म 

2017 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं घोषित किया था, क्योंकि उस वक्त पार्टी के मद्देनजर राज्य में कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था। निकाय चुनाव के नतीजों के बाद योगी ने पार्टी की इस दुविधा को भी खत्म कर दिया। योगी की लोकप्रियता सिर्फ गोरखपुर तक सीमित है, इस धारणा के विपरीत योगी ने खुद को यूपी के कद्दावर नेता के रूप में स्थापित करने में कामयाबी हासिल की।

(साभार – एनबीटी)

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