वाराणसी– पर्व और त्योहार की तिथियों को लेकर विवाद पर विराम लगेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बीएचयू की पहल पर भारत में एक देश-एक पंचांग की व्यवस्था अगले दो वर्ष में लागू कर दी जाएगी. पंचांग की एकरूपता के लिए विद्वानों की सहमति को 87 फीसदी से आगे बढ़ाकर 100 फीसदी तक किया जाएगा.
इसके लिए देशभर में हर ज्योतिषाचार्यों और पंचांगकारों को नए सिरे से निर्बीज पंचांग का निर्माण करना होगा. बीएचयू के ज्योतिष विभाग में हुए पिछले दिनों हुए अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के बाद पंचांग की एकरूपता की व्यवस्था को लागू करने की रणनीति तैयार की गई है. एक से डेढ़ साल तक देश-दुनिया के ख्यात ज्योतिषाचार्यों और पंचांगाकारों समेत संस्थानों के साथ बैठकें होंगी. इसमें सभी की एक सहमति होने के बाद निर्वीज पंचांग के अनुसार तिथि, मुहूर्त और पर्व आदि निर्धारित होंगे.
सूर्य सिद्धांत आधारित पंचांग पर सहमति
कार्यक्रम के समन्वयक रहे प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार, 87 फीसदी पंचांगकारों और ज्योतिषाचार्यों ने सूर्य सिद्धांत आधारित पंचांग की व्यवस्था लागू करने पर सहमति दे दी है, इसे बढ़ाकर सौ फीसदी करना है. बैठकों में रणनीति बनाकर पूरे देश के धर्मशास्त्रियों से बात कर एक पंचांग की व्यवस्था लागू की जाएगी. ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी के मुताबिक, हिंदू धर्म के व्रत और त्योहारों की सटीक तिथि के लिए पंचांग को सिर्फ सूर्य सिद्धांत पर लाना होगा.
काशी में ही कई जगह पोजिशनल एस्ट्रोलॉजी के आधार पर पंचांग बनते हैं. इससे नक्षत्र और तिथियों के मान में फर्क आ रहा है. ये पंचांग हिंदू धर्म के त्योहारों के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हैं. विवाद न हो ऐसे में इन्हें बदलना होगा. अगले दो साल में दो दिन दिवाली और होली न हो इसकी तैयारी कर ली गई है.
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पहला ग्लोब बेस्ड 3डी पंचांग तैयार
बीएचयू में ज्योतिष विधा के शोध छात्र ने त्रिकोणमिति के सूत्रों से दुनिया का पहला ग्लोब बेस्ड 3डी पंचांग तैयार किया है. इसमें 22 वृत्तों से पृथ्वी की खगोलीय घटनाओं को संरचना में ढालकर विस्तार से समझाया गया है. इससे पृथ्वी से ऊपर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का सटीक मापन किया जा सकता है. ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के निर्देशन में शोध छात्र अमित कुमार मिश्रा बीते 3 साल से इस ग्लोब पर रिसर्च कर रहे थे.
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