जब कोर्ट ने सुनाई थी इंदिरा गांधी को सज़ा

राजनीती की दिशा और दशा दोनों बदल गई

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साल 1975. जून का महीना , 12 तारीख और सूरज की तपती गर्मी का पारा सातवें आसमान पर था. लेकिन उस समय भारत की रजनीति का सियासी पारा सूरज की गर्मी से दो कदम आगे निकाल चूका था जी हाँ हम बात रहे है इंदिरा गाँधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह फैसला जिसके बाद देश में राजनीती की दिशा और दशा दोनों बदल गई और देश की राजनीती में भूचाल मच गया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा और चार सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाया कि इंदिरा गांधी ने मशीनरी का दुरुप्रयोग करके चुनाव जीता. चुनाव में धांधली करने का दोषी पाते हुए छह साल तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया, उस समय इंदिरा कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता थी और आज़ाद भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थी.

लेकिन इंदिरा ने हाई कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहीँ, हाईकोर्ट के फैसले के 13 दिन बाद इंदिरा गाँधी ने बड़ा फैसला लेते हुए 25 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी. इसके बाद ऑल इंडिया रेडियो पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा,

“”जब से मैंने आम लोगों और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी”.

आइये जानते है यह सब कैसे हुआ ,क्यों हुआ और क्या था यह केस….

लेकिन इसकी शुरुआत 12 जून 1975 से करते है ठीक आज से 48 साल पहले गुरुवार का दिन था. हाईकोर्ट में इंदिरा गाँधी पर सुनवाई होनी थी. मामला था लोकसभा चुनाव के दौरान का जहाँ इंदिरा के सामने उनके प्रतिद्वंद्वी राजनारायण थे. चुनाव में राजनारायण हार गए और उसके बाद चुनाव परिणाम को लेकर राजनारायण ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. उन्हीने दलील दी थी कि इंदिरा गाँधी ने चुनाव में मशीनरी का दुरुप्रयोग किया, तय सीमा से ज्यादा पैसे खर्च किये और मतदाताओं को लिए रिझाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. कोर्ट में चार साल केस चला और उनके खिलाफ निर्णय आया और 14 आरोपों को सही माना गया.

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कोर्ट के फैसले से यह निकाल कर आया कि इंदिरा गाँधी की सांसदीय रद्द हो गई तब इंदिरा ने यह आदेश नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी लेकिन 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अय्यर (अवकाश न्यायाधीश) ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना और अपना आदेश बरकरार रखा लेकिन पीएम पद पर बने रहने की इजाजत दे दी. और उसके बाद इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी. इमरजेंसी लागू होने की घोषणा के बाद विपक्ष के नेता अंडरग्राउंड हो गये जबकि कुछ को सलाखों के पीछे डाल दिया गया. अपने कठोर निर्णयों के कारण इंदिरा गांधी को आइरन लेडी भी कहा जाने लगा.

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