Kissa EVM ka: जानें ईवीएम को लेकर कब – कब उठे सवाल ?

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Kissa EVM ka: दौर चुनावी है जिसमें हमने दो चरण पार भी कर लिया है. इन सबके बीच चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है करोड़ों मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा, क्यों इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालों का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर के बारे में. इस सीरिज के पांचवे एपिसोड में हम जानेंगे की ईवीएम को लेकर कब – कब हुआ विवाद ?

साल 2004 में हुई ईवीएम की वापसी के साथ ही आम चुनावों के दौरान लोकसभा की सभी 543 सीटों पर मतदान कराए गए थे. इसके बाद ही देश में निरंतर ईवीएम का प्रयोग शुरू हो गया और आज तक जारी है, लेकिन ईवीएम को लेकर लगातार विवाद होता रहा है. हर बार हुए चुनाव के मतदान के बाद ईवीएम द्वारा जारी किेए जाने वाले परिणामों पर सवाल उठाते रहे हैं, ऐसे में आइए जानते है ईवीएम को लेकर कब-कब उठे सवाल…

ईवीएम को लेकर कब-कब हुए सवाल

ईवीएम को लेकर हमेशा से ही असफल रहने वाले राजनीतिक दल इसके परिणामों पर सवाल उठाते रहे हैं. इसकी शुरूआत साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार हुई जब ईवीएम पर सवाल खड़े किए गए थे. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी और तत्कालीन जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने चुनाव के नतीजे में धांधली का आरोप लगाए थे. इसके बाद साल 2010 में जीवीएल नरसिम्हा राव ने ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे, यह विवाद इतना बढ़ा की सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट तक लेकर पहुंच गए थे. इसके बाद ही उठ रहे सवाल पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीवीपैट के उपयोग किए जाने के निर्देश दिए गए.

साल 2017 मार्च में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद 13 राजनीतिक दल 10 अप्रैल 2017 को चुनाव आयोग से ईवीएम पर सवाल उठाये थे. इसके बावजूद यह प्रथा अभी भी जारी है बहुत से राजनीतिक दल और उनके नेताओं ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम मशीन से चुनाव कराने की मांग की है. चुनाव आयोग ने कहा कि, ”देश के कई हाई कोर्ट ने भी ईवीएम को भरोसेमंद ही माना है. साथ ही, ईवीएम के पक्ष में हाई कोर्टों द्वारा दिए गए कुछ फैसलों को जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उन अपीलों को खारिज कर दिया.”

 

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