विवेक तिवारी हत्याकांड मामले में सवालों के घेरे में यूपी पुलिस

0

मल्टिनैशनल कंपनी ऐपल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या (Vivek Murderer)के मामले में सरकार की सख्त चेतावनी के बावजूद यूपी पुलिस सेल्फ डिफेंस मोड पर ही है। मनमाफिक एफआईआर लिख केस कमजोर करने का आरोप झेल रही पुलिस का रवैया रविवार को दूसरे दिन भी बदला नजर नहीं आया।

जांच के लिए गठित एसआईटी ने घटना के री-कंस्ट्रक्शनके नाम पर महज खानापूर्ति की।
आरोप यह भी है कि आरोपी सिपाहियों को बचाने के लिए विवेक की एक्सयूवी को बाद में बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया। आरोपी सिपाहियों के साथियों ने भी अपने अधिकारियों, मीडिया और विवेक के परिवार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ मोर्चा खोल दिया है। सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने भी पुलिस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।

इतनी डैमेज कैसे हो गई विवेक की एक्सयूवी?

विवेक की एक्सयूवी की जो पहली तस्वीर सामने आई उसमें अंडर पास के पिलर से टकराने के बाद एक्सयूवी का बम्पर सुरक्षित था। उसमें नंबर प्लेट भी लगी थी। वहीं दूसरी तस्वीर में नंबर प्लेट गायब हो गई और बम्पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यही नहीं गाड़ी के एयर बैलून भी खुले हैं। एक्सयूवी के बाद में इतना डैमेज होने पर सवाल उठ रहे हैं।

गाड़ी रिकवर की तो वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त मिली है

विवेक के भाई नीरज के अनुसार, घटना के समय गाड़ी में मौजूद सना ने बताया था कि गाड़ी काफी कम स्पीड में अंडरपास से टकराई थी। अगला हिस्सा भी मामूली रूप से डैमेज हुआ था, लेकिन पुलिस ने जब गाड़ी रिकवर की तो वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त मिली है। इससे यही आशंका है कि पुलिस ने रश ड्राइविंग दिखाने के लिए एक्सयूवी को अंडरपास के पिलर से दोबारा भिड़ाकर डैमेज किया, ताकि कोर्ट में साबित किया जा सके कि पुलिसकर्मियों के रोकने पर विवेक गाड़ी लेकर भागे और आरोपितों को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।

चश्मदीद सना भी इस दौरान नहीं थीं

मामले की जांच कर रही एसआईटी ने सोमवार को घटना के री-कंस्ट्रक्शन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की। मौके पर डमी के तौर पर कोई कार और बाइक नहीं लाई गई। दोनों जगहों को सुरक्षित नहीं रखा गया। चश्मदीद सना भी इस दौरान नहीं थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्पॉट सुरक्षित न रखे जाने से कई अहम साक्ष्य मिटने की आशंका है। री-कंस्ट्रक्शन के दौरान चश्मदीद का होना बहुत आवश्यक था। उसकी मदद से कई अहम साक्ष्य जुटाए जा सकते थे।

सिपाहियों के तेवरों पर अफसर चुप क्यों?

विवेक की हत्या के आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार के पक्ष उसके बैच के पुलिसकर्मी एकजुट होने लगे हैं। सिपाहियों ने उनके लिए फंड जुटाना शुरू कर दिया है। सरकार, डीजीपी व अफसरों पर कड़े कमेंट किए हैं। एसपी उत्तरी लखनऊ के दफ्तर में तैनात कॉन्स्टेबल रोहित पाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर प्रशांत की मदद को पांच करोड़ रुपये देने की बात लिखी है। उसने सभी सिपाहियों से पैसा जमाकर अच्छा वकील खड़ा करने की अपील की है। उसने अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि प्रशांत की पत्नी ने सभी से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।

पाल ने प्रशांत की पत्नी राखी मलिक और साथी सिपाही संदीप की बैंक डिटेल देते हुए पैसा डालने की अपील की है। एक अन्य कॉन्स्टेबल विष्णु चाहर ने पोस्ट लिखी है कि सरकार से अनुरोध है कि हम पुलिसवालों को पिस्टल-राइफल ना दें, एक झुनझुना पकड़ा दें, हम उसी को बजाते रहेंगे और सरकार के गुन गाते रहेंगे। प्रदीप यादव नाम के एक सिपाही ने लिखा है कि डीजीपी सर कुछ ऐसा मत करो जो 1973 हो। साभार

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More