गुरू को हमारे देश में ईश्वर का दर्जा दिया जाता है। शिक्षक दिवस है। देश के कई हिस्सों में शिक्षकों की कमी बरकरार है। लेकिन, झारखंड में इसका बेहतरीन हल निकलते हुए दिख रहा है।
‘शिक्षादान’ का एक नायाब मॉडल अपनाया गया
धनबाद के कुछ उत्साही अधिकारियों और आम लोगों ने यह हल निकाला है, जो अब पूरे राज्य में लागू होने जा रहा है। शिक्षकों के घोर संकट से जूझ रहे यहां के हाई स्कूलों में ‘शिक्षादान’ का एक नायाब मॉडल अपनाया गया है। राज्य सरकार ने इस मॉडल को पूरे सूबे में लागू करने का निर्देश दिया है। दरअसल, यहां के हाई स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है।
विभाग ने शिक्षादान पहल की शुरुआत की
कई वषों से नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। खामियाजा स्कूली बच्चों को उठाना पड़ रहा है। ऐसे में जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षादान पहल की शुरुआत की। कॉलेज प्राध्यापकों, सेवानिवृत्त शिक्षकों,समाजसेवियों, शिक्षित बेरोजगारों, छात्र संगठनों को इस बात के लिए मनाया गया कि वे सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ समय निकालें। लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया।
350 ‘गुरुजी’ इस काम में जुटे हुए हैं
आज ऐसे करीब 350 ‘गुरुजी’ इस काम में जुटे हुए हैं। ये धनबाद के कुल 171 हाईस्कूलों में से 70 में करीब 15 हजार बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। बिना कोई पगार लिए ये स्वेच्छा से रोजाना स्कूलों में दो से तीन घंटे का समय दे रहे हैं। इसी तरह हमें भी जरूरत है अपने आस पास लोगो को जागरूक करने की। ताकि देश का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाये। हमें अपनी तरफ से हर संभव मदद के लिए आगे आना होगा तभी तो सच होगा पढेगा इंडिया तभी तो बढे़गा इंडिया का नारा।
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