भाजपा की काठ ढूढने में लगे ‘बुआ भतीजा’

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लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा (BJP) ने हिंदुत्व के अपने हथियार को धार दी है तो विपक्ष भी उसे लोक संकल्प पत्र के दावों से काटने की कोशिश में जुट गया है। सपा-बसपा और कांग्रेस प्रदेश सरकार के दावों और असफलता को लोगों के बीच ले जाकर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुट गए हैं।

इसके साथ ही अन्य राज्यों के चुनाव में भी विपक्ष उन मुद्दों को लेकर आक्रामक नजर आएगा जिनमें सरकार दावे के अनुसार काम नहीं कर सकी है।

जातीय किलेबंदी तोडऩे को हिंदुत्व कार्ड

भाजपा ने बड़े सलीके से विपक्ष की जातीय किलेबंदी तोडऩे के लिए हिंदुत्व कार्ड आगे बढ़ाया है। अर्धकुंभ को कुंभ के रूप में मनाना, जिलों के नाम परिवर्तन और अयोध्या में राम प्रतिमा की स्थापना इसी का हिस्सा है। भाजपा की यह मोर्चाबंदी विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती के रूप में है।

यही वजह है कि सपा और बसपा दोनों ही भाजपा पर आक्रामक हैं। सपा ने तो भाजपा को उसी की भाषा में जवाब भी देना शुरू किया है। शुक्रवार को वाराणसी में केसरिया साफा पहने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोवर्धन पूजा महोत्सव के बहाने न सिर्फ भाजपा पर निशाना साधा, बल्कि भारी भीड़ जुटाकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में अपनी ताकत भी दिखाई।

कामकाज को बताने की जिम्मेदारी भी दी है

अखिलेश इससे पहले इटावा में कंबोडिया के विश्व प्रसिद्ध ओंकारवाट की तर्ज पर विष्णु मंदिर बनाने की घोषणा भी कर चुके हैं। अपना बेस वोट संभालने के क्रम में सपा ने बूथ स्तरीय समितियों को लोगों के घर-घर जाकर भाजपा के वादों और सपा शासन में हुए कामकाज को बताने की जिम्मेदारी भी दी है।

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सपा नोटबंदी की असफलता को भी भाजपा के खिलाफ भुनाने की कोशिशों में जुटी हुई है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल कहते हैं कि भाजपा लोगों को बरगलाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। बहुजन समाज पार्टी का बेस वोट बैंक चुनाव में हमेशा एकजुट नजर आता रहा है लेकिन हिंदुत्व की धार इसमें सेंध लगाने में सक्षम है। यही वजह है कि बसपा प्रमुख मायावती ने नोटबंदी को आर्थिक इमरजेंसी बताते हुए भाजपा पर हमला बोला है।

उनकी कोशिश कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की है कि भाजपा दलितों से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह सब कर रही है। कांग्रेस संगठनात्मक रूप से प्रदेश में कमजोर भले ही है लेकिन, सपा-बसपा की तर्ज पर वह भी भाजपा को नोटबंदी पर घेरने में जुटी हुई है।

पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों में जाने और पूजा-पाठ को कांग्रेस प्रमुखता से प्रचारित भी कर चुकी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भाजपा पर सीधा हमला करते हैं कि उसे कुछ सार्थक काम करना चाहिए क्योंकि राम को मानने वाले सिर्फ अयोध्या में नहीं, पूरे देश में हैं।

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