लखनऊ: प्रदेश में गर्मी आरंभ होने के साथ कई जगह पानी की किल्लत होनी शुरू हो गई है. इतना ही नहीं यह स्थिति गांव के साथ अब शहरों में भी दिखाई देने लगी है. राजधानी के कई इलाकों में अभी से नलकूप जवाब देने लगे है. आलम यह हो गया है की जहाँ पहले 150 -180 फीट तक पानी मिल जाता था वहीँ अब 210 से लेकर 250 फ़ीट पर पानी मिल रहा है. प्रति वर्ष भू-जल स्तर एक से डेढ़ मीटर नीचे खिसक रहा है.
हर साल करोड़ों खर्च करता है जल विभाग…
बता दें कि स्थिति यह है कि शहर में हर साल जलकल विभाग नलकूपों के रिबोर के लिए 20 से 22 करोड़ रुपये खर्च करता है. वहीं, तेजी से गिरते भू-जल स्तर के साथ जलकल का खर्च भी बढ़ता जा रहा है.
पुतला बने हैंडपंप
बता दें की शहर में कई जगह हैंडपंप हैं लेकिन वह केवल दिखावे के रूप में खड़े है. शहर में बने 8 जोन में हैंडपंप शोपीस बन चुके हैं. क्योंकि आलम यह हो गया है कि हैंडपंप काफी पुराने हैं और पानी का स्तर नीचे गिरे चुका है. जमीन के नीचे करीब 210 से 220 फुट की गहराई तक पानी नहीं मिल रहा है.
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घर-घर लगे सबमर्सिबल से बढ़ी दिक्कत
बता दें कि, अब शहर के साथ गांव में भी घर- घर में लगे सबमर्सिबल से अंधाधुंध दोहन के साथ ही बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी भी हो रही है. भूगर्भ जलस्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण भी यही है. बिना इस पर रोक लगाए और बारिश के पानी संरक्षित किए स्थिति में सुधार मुश्किल है. अगर शहरों की बात करें तो करीब 60 फीसद इलाकों में पानी की लाइन है जिसमें नलकूपों से सप्लाई होती है लेकिन इसके बाद भी बाकी जगह घर- में लगे सबमर्सिबल से आपूर्ति हो रही है.
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जलकल विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजधानी के लगभग 58 फीसदी हिस्से में ही पानी की लाइन लाइन बिछी है. इससे शहर की आधी आबादी को ही पानी की आपूर्ति हो रही है. वहीं, बाकी इलाकों में सबमर्सिबल से पानी की जरूरत पूरी हो रही है. जलकल के अधिकारियों के अनुसार घर-घर में लगे सबमर्सिबल से अंधाधुंध दोहन के साथ ही बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी भी हो रही है. भूगर्भ जलस्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण भी यही है. बिना इस पर रोक लगाए और बारिश के पानी संरक्षित किए स्थिति में सुधार मुश्किल है.