ओल्ड मोंक को दोबारा बनाना असंभव : रॉकी मोहन

0

रॉकी मोहन (65) एक ऐसे उद्यमी हैं, जो अपने पारिवारिक कारोबार मोहन मीकिन लिमिटेड से 22 साल की उम्र से जुड़े हुए हैं। उनका मानना है कि ओल्ड मोंक जैसे ब्रांड को फिर से बनाना लगभग असंभव है। मोहन मीकिन लिमिटेड ओल्ड मोंक रम जैसी भारत की कुछ अत्यंत पसंदीदा मदिरा की बॉटलिंग करती है।

ब्रांड को विकसित करने में लगा दशकों का वक्त

रॉकी ने कहा कि चूंकि इस ब्रांड को विकसित करने में कई दशकों का वक्त लगा है, इसलिए इसे दोबार बनाना असंभव है। मोहन मीकिन के कार्यकारी निदेशक मोहन ने बेंगलुरू दौरे के दौरान आईएएनएस को बताया, “पिछले 60 सालों से इस ब्रांड की अपनी विरासत रही है। यह एक प्रतिष्ठित ब्रांड है, जिसे दोबारा नहीं बनाया जा सकता है। यह उत्पाद पिछले 60 सालों से एक जैसा बना हुआ है, इसकी शुद्धता बरकरार है। युवा वर्ग इसे खासकर पंसद करता है। मुझे लगता है कि इसकी यही खासियत इसे विजेता बनाती है।”

Also Read : बीएचयू हिंसा पर दिल्ली में छात्रों का विरोध प्रदर्शन

1887 में में स्थापित की कंपनी

एशिया के सबसे पहले और एक सबसे बड़े शराब निर्माता, मोहन मीकिन ने 1855 में कसौली में (जो अब हिमाचल प्रदेश है) स्थित डायर ब्रीवरीज की संपत्तियों को खरीद लिया था। एक अन्य उद्यमी एच.जी. मीकिन ने 1887 में अपनी खुद की ब्रीवरीज स्थापित की थी और प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इन दोनों कंपनियों का विलय हो गया। मोहन के दादा, नरेंद्र नाथ मोहन, जिन्होंने 1947 में स्वतंत्रता के बाद ब्रीवरीज का अधिग्रहण किया था, उन्होंने पहली बार 1954 में ओल्ड मोंक को निर्माण किया था।

कई किताबें लिख चुके हैं मोहन

मोबाइल डाइनिंग एप्लीकेशन गौरमेट पासपोर्ट के भी संस्थापक मोहन इसकी सेवा को लॉन्च करने के लिए शहर में थे। खाने के प्रति अपनी रुचि के कारण उन्होंने इस डाइनिंग एप में अपनी उत्सुकता दिखाई। दिल्ली के रहने वाले मोहन एशिया के 50 सर्वश्रेष्ठ रेस्तरां की जूरी के सदस्य भी रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें ‘द ऑर्ट ऑफ इंडियन कसिन’ और ‘वाजवान : ट्रेडीशनल कश्मीरी कसिन’ जैसी किताबें भी लिखी हैं।

Also Read : वंशवाद और तुष्टिकरण के खिलाफ है बीजेपी : अमित शाह

मोहन ने कहा, “मैंने एक शेफ के रूप में प्रशिक्षण हासिल किया था, लेकिन काम कभी भी नहीं किया। कई साल पहले त्रिनिदाद और टोबैगो के तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत का दौरा कर रहे थे और वे भारतीय भोजन चखना चाहते थे, तब मैंने उनके पूरे दल के लिए खाना बनाया था।”

19 साल की उम्र में पिता को खो दिया

उनके भोजन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने भी पेश किया गया था। उन्होंने कहा, “मोहन मीकिन में अपने करियर की शुरुआत करना थोड़ा ‘कठिन’ था।”
मोहन ने कहा,”जब मैं 19 साल का था, तब मैंने अपने पिता को खो दिया। उस समय की मेरी यादें बड़ी पीड़ादायक थीं, क्योंकि मेरे पास पर्याप्त ज्ञान और बुद्धि नहीं थी। लेकिन यह मेरा परिवारिक व्यापार होने के कारण, मुझे एक बहुत अच्छा समर्थन मिला।”उन्होंने कहा, “लेकिन मेरा अपने व्यवसाय के प्रति जुनून था और यही मुझे किसी भी तरह की कठिनाइयों से गुजरने में सक्षम बनाता है।”

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More