योगी सरकार के एस्मा लागू करने पर सपा की प्रतिक्रिया, ”यह फरमान उप्र के खराब हालत बयां करता है”

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बीते शनिवार को प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के हालात को देखते हुए बड़ा फरमान फैसला लिया था, जिसमें यूपी में आगामी 6 महीने तक किसी भी प्रकार की हड़ताल करने पर रोक लगा दी गयी है. वहीं हड़ताल को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मेंटनेंस ऐक्ट यानी एस्मा लागू करने का फैसला लिया है, जो कानून सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों पर लागू होगा. आज योगी सरकार के इस फैसले पर सपा प्रमुख और उप्र के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. जिसमें उन्होंने कहा है कि, ”उप्र सरकार का ये फरमान अपने आप में प्रदेश में लगातार बढ़ते ख़राब हालातों को बयां कर रहा है”

अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखी ये बात

प्रदेश में हो रही हड़ताल को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा एस्मा लागू करने के फैसले पर आज अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. जिसको लेकर उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा है कि, ”उप्र सरकार का ये फ़रमान अपने आप में उप्र में लगातार बढ़ते ख़राब हालातों को बयां कर रहा है कि अगले 6 महीनों तक अनिवार्य सेवा अनुरक्षण क़ानून (ESMA) के तहत हड़ताल पर प्रतिबंध होगा.”

”डरी हुई है भाजपा सरकार”- अखिलेश यादव

इसके आगे अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि, ”सच्चाई ये है कि भाजपा को जोड़-तोड़ और हेराफेरी से सरकार बनाना तो आता है पर भ्रष्ट आचार-विचार के कारण सरकार चलाना नहीं. जो सरकार अपने अधीन लोगों पर ही पाबंदी लगा रही है, इसका तो सीधा मतलब यही हुआ ना कि वो मान रही है कि कर्मचारियों-अधिकारियों के बीच विरोध और आक्रोश का सुषुप्त ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है.

उन्होंने कहा है कि, ”वास्तविकता तो ये है कि उत्तर प्रदेश के ही नहीं, पूरे देश के विभिन्न विभागों और सरकारी व अद्धसरकारी संस्थानों और प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले लोग, भाजपाई भ्रष्ट नीतियों और भ्रष्टाचार के हिस्से बनने पर मजबूर किये जा रहे हैं, जिससे उनमें असंतोष पनप रहा है, जो कल को हड़ताल बनकर उभरेगा. यही वो डर है जिसकी वजह से ये आदेश पारित हुआ है. भाजपा डरी हुई सरकार है”

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जानें क्या होता है एस्मा ?

एस्‍मा (ESMA) का मतलब है एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) जिसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून कहा जाता है. यह कानून खासतौर पर तब लागू किया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य हड़ताल को रोकना होता है. इस कानून को लागू करने की अधिकतम अवधि 6 महीने तक होती है. हालांकि, इस कानून को लागू करने से पहले सरकार को कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन जारी करना आवश्यक होता है.

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