इंदौर में महंगी शादियों पर लगी रोक, जानें वजह ?

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शादी का सीजन अब पूरे जोरों पर है और यह समय खास तौर पर हर्षोल्लास, महंगे आयोजन और धूमधाम का होता है. भारत में अधिकांश शादियां अत्यधिक खर्चों के साथ होती हैं, जिसमें महंगे टेंट, शादी हॉल, अनगिनत खाने की वस्तुएंऔर विभिन्न रीतियों का पालन शामिल होता है. साथ ही हल्दी, मेहंदी, जूता चुराई और अन्य रिवाजों के साथ शादी समारोह एक भव्य उत्सव बन देते हैं. हालांकि, इन आयोजनों का खर्च कई बार अत्यधिक होता है और ऐसे खर्चों की आलोचना भी की जाती है. इसी बीच मध्य प्रदेश के इंदौर में बोहरा समाज ने शादी समारोहों में होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने की पहल की है.

महंगी शादी के आयोजन पर लगाई रोक

बोहरा समाज के धर्मगुरु ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. समाज के धर्मगुरु, डॉक्टर सैयदना आलीकदर मुफद्दल मौला ने एक फरमान जारी किया है, जिसमें शादी समारोह को सादगी से मनाने की अपील की गई है. उन्होंने समाज के सदस्यों से आग्रह किया है कि, वे अपनी शादियों को सादा और कम खर्चीले तरीके से आयोजित करें. इस फरमान के तहत समाज में शादी समारोहों के लिए सादे शादी कार्ड छपवाने और महंगे आयोजनों से बचने की सलाह दी गई है. यह पहल विशेष रूप से उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने बच्चों की शादियों को बड़े पैमाने पर आयोजित करना चाहते हैं और इस दौरान अत्यधिक खर्च करने की योजना बनाते हैं. धर्मगुरु ने समाज के लोगों से अपील की है कि वे शादी समारोहों में कोई दिखावा न करें और केवल जरूरी चीजों पर ही खर्च करें.

धर्मगुरु का फरमान पर समाज ने दी यह प्रतिक्रिया

धर्मगुरु के फरमान के बाद अब बोहरा समाज के लोग इस दिशा में काम करना शुरू कर चुके हैं. उन्होंने समाज के सदस्यों से कहा है कि, वे शादी के कार्ड सादगी से छपवाएं, जिसमें कोई भी फिजूल खर्ची न हो. इसके अलावा, दावत के दौरान सिर्फ एक मिठाई और एक खारास (खास पकवान) परोसने की सलाह दी गई है, जिससे खाने का वेस्टेज न हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाए. समाज में यह फैसला तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और अब कई लोग इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. वही बोहरा समाज के एक सदस्य फिरोज अली फाखरी ने बताया कि, इस फरमान के बाद जिन परिवारों में शादी समारोह आयोजित होने हैं, उनके परिजनों को एक बैठक में बुलाई गयी है. इस बैठक में धर्मगुरु की क्लिपिंग दिखाई गई और यह अपील की गई कि वे अपनी शादी को सादगी से करें.

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समाज के लिए यह फैसला बनेगा मिशाल

बोहरा समाज का यह कदम ऐतिहासिक है और इसके बाद अन्य समाजों के लिए यह एक उदाहरण बन सकता है. अब यह देखना होगा कि, बाकी समाजों के लोग इस पहल को कैसे अपनाते हैं और क्या वे भी अपनी शादी समारोहों को सादगी से आयोजित करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं. इस पहल का मुख्य उद्देश्य शादी समारोहों में फिजूलखर्ची को रोकना और समाज में बचत की आदतों को बढ़ावा देना है. धर्मगुरु ने यह भी स्पष्ट किया है कि, जो परिवार इस फरमान का पालन नहीं करेंगे, उन्हें समाज की विभिन्न सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है. यह एक तरह से समाज के नियमों और परंपराओं के पालन को सुनिश्चित करने का तरीका है.

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