वाराणसी के चेस्ट स्पेशलिस्ट का सुझाव, थूकें नहीं निगल जाएं

मुंह का लार और पेट का एसिड बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है

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कोरोना वायरस को लेकर जहां नित नयी जानकारियां सामने आ रही हैं वहीं चेस्ट रोग विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में थूकने Spitting पर भारी जुर्माने की जो बात कही गयी है वह पूरी तरह उचित है।

या फिर सुरक्षित जगहों पर थूका जाये

उनका साफ कहना है चारों ओर थूक (Spitting) कर संक्रमण बढ़ाने से अच्छा है कि उसे निगल लिया जाये या फिर सुरक्षित जगहों पर थूका जाये। थूक निगलने की हालत में पेट का एसिड इसे नष्ट कर देता है।

इस बाबत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व सांस व चेस्ट रोग विभागाध्यक्ष डाक्टर एस के अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी को रोकने का एक उपाय यह भी है कि लोग बाहर न थूकें (Spitting) चाहे वह कफ हो या बलगम उसे निगल जाएं।

लोग बाहर नहीं निकलें

उनका कहना है कि अव्वल तो लोग बाहर नहीं निकलें और जरूरी काम से निकलना ही हो तो मास्क या गमछा बांध कर निकलें।
डाक्टर अग्रवाल का कहना है कि नये शोध से पता चलता है कि कोरोना तीन घंटे तक हवा में रुका रह सकता है। पहले माना जाता था कि यह हवा में ज्यादा देर तक नहीं ठहरता। पर अमेरिका की एमआईटी में हुए शोध से पता चलता है कि यह हवा में रुकता है। थूकने (Spitting) या छींकने की स्थिति में जो ड्रापलेट या एयरोसोल होता है वह इस वायरस का वाहक है। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग तो जरूरी है ही सेंट्रली एसी से दूर ही रहना चाहिये।

थूक अंदर निगलने मेंं नुकसान नहीं

उन्होंने कहा कि थूक (Spitting) को अंदर निगलने से किसी तरह का नुकसान नहीं है। पूरी दुनिया नॉवेल कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है। मंगलवार को गृह मंत्रालय की ओर से लॉकडाउन को लेकर कई गाइडलाइन जारी की गयी जिसमें से एक थूकने (Spitting) पर भी है। इसके अनुसार, सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

डॉक्‍टर व वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे

महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्‍न देशों के डॉक्‍टर व वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं। अनेकों सलाह भी दी जा रही है जिसे मानवता के लिए अपनाने से किसी को परहेज नहीं करना चाहिए। इस क्रम में एक रिसर्च के बाद यह सलाह दी जा रही है कि इस संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को थूकने से परहेज करना चाहिए चाहे वह उनके मुंह में आया कफ या बलगम क्‍यों न हो। डा. अग्रवाल की सलाह है कि बलगम या कफ को बाहर थूकने (Spitting) से अच्‍छा है कि उसे निगल जाएं क्‍योंकि ऐसा करने से कोई नुकसान नहीं है बल्‍कि बचाव है।

लार खुद अपने आप में ऐंटी बैक्टीरियल

उन्होंने बताया कि मुंह में बनने वाला सैलाइवा या लार खुद अपने आप में ऐंटी बैक्टीरियल होता है जो मुंह को लगातार साफ रखने का काम करता है इसलिए इसे घोंटना निरापद है।
सामान्‍य मामलों में भी ऐसा देखा गया है कि किसी तरह का संक्रमण नहीं है फिर भी कफ आ जाता है। बलगम पेट में जाने से कोई नुकसान नहीं होता इसलिए उसे थूकें (Spitting) नहीं निगल लें।

पेट के एसिड से खत्‍म होगा बलगम का बैक्‍टीरिया

बलगम (कफ) आने की समस्या तीन कारणों से हो सकती है। पहला यह कि व्यक्ति को किसी तरह का संक्रमण है। दूसरा, उसे एलर्जी की समस्या है। तीसरा, मुंह की सफाई नहीं रखता। म्यूकस ग्रंथि से कफ बनता है, जो फेफड़ा या श्वास नली से बाहर आता है। बाहर थूकने (Spitting) से दूसरे लोगों संक्रामक बीमारियां हो सकती हैं। घर में हैं तो टॉयलेट में जाकर थूकें। घर के बाहर हैं तो टिस्यू पेपर में थूककर इसे सही तरीके से नष्ट करें। यह विकल्प भी न हों तो बलगम को निगल सकते हैं जहां इसे खत्‍म करने में पेट का HCL एसिड अहम भूमिका निभाएगा।
डाक्टर अग्रवाल सुझाव देते हैं कि लोगों को कम से कम ही बाहर निकलना चाहिये। पूरी सतर्कता से रहेंगे तो सरकारों को इस पेन्डामिक से देश को निजात दिलाने में आसानी होगी।

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