विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता की धाक

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‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ को सार्थकता प्रदान करने के लिए हिन्दी के साधकों ने अविस्मरणीय कार्य किए। जिस प्रकार से भारत में हिन्दी-पत्रकारिता विभिन्न चरणों में विकसित हुई है, ठीक उसी प्रकार से विदेशों में भी प्रवासी भारतीयों के द्वारा उसके विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। हिन्दी को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित कराने के निमित विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता सक्रिय है। हिन्दी पत्रकारों ने विदेशों में हिन्दी की धाक जमाई है।

विशालतर होता हिन्दी

विगत कुछ वर्षों से हिन्दी का वैश्विक मंच विशाल से विशालतर होता जा रहा है। अब हिन्दी एक देशीय नहीं अपितु बहुदेशीय भाषा का रूप ले चुकी है। विश्व के ऐसे अनेक देश हैं जहां शताब्दियों पूर्व भारतीय जाकर बस गए थे और उनके वंशज आज भी वहां निवास करते हैं।  इनमें से बहुत से ऐसे भी है जो अपने धर्म, संस्कार और भाषा से भावात्मक रूप में जुड़े हुए हैं। उन्हीं के द्वारा समय-समय पर हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ किया गया था, जो अनेक रूपों में आज भी हो रहा है।

ब्रिटेन

ऐतिहासिक दृष्टि से विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता का जन्म सन 1883 में हुआ था। इस वर्ष लंदन से ‘हिन्दोस्थान’ नामक त्रैमासिक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ था। किसी भी विदेश से प्रकाशित होने वाले सर्वप्रथम हिन्दी पत्र के रूप में इसकी मान्यता है। इसके बाद ‘वैदिक पब्लिकेशंस’ का प्रकाशन हुआ। इसके बाद लंदन में हिन्दी प्रचार परिषद की स्थापना हुई और फिर उसी परिषद के मुखपत्र के रूप में सन 1964 में एक हिन्दी त्रैमासिकी ‘प्रवासिनी’ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ।

सोवियत संघ

‘सोवियत संघ’ शीर्षक से एक पत्र मास्को से प्रकाशित होता है। इसके प्रधान संपादक निकोलोई गिबाचोव तथा चित्रकार अलेक्सांद्र जितो मिस्कीं हैं। इसका प्रकाशन 1972 में आरंभ हुआ था।

जापान 

जापान से प्रकाशित हिन्दी पत्रों में ‘सर्वोदय’ का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जापान से ही एक अन्य हिन्दी पत्रिका ‘ज्वालामुखी’ शीर्षक से भी प्रकाशित होती है। इसकी विशेषता यह है कि यह जापानी नागरिकों द्वारा ही संपादित की जाती है और इसमें उन्हीं के द्वारा हिन्दी में लिखे लेख प्रकाशित होते हैं।

फ्रांस

फ्रांस से भी हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में कतिपय उल्लेखनीय प्रयत्न परिलक्षित होते हैं। फ्रांस की राजधानी पेरिस से ‘यूनेस्को कूरियर’ नामक पत्र का प्रकाशन उल्लेखनीय है।

मॉरीशस

मॉरीशस से भी हिन्दी में अनेक पत्र-पत्रिकाएं समय-समय पर प्रकाशित हुई। जिसमें ‘हिन्दुस्तानी’, ‘जनता’, ‘आर्योदय’, ‘कांग्रेस’, ‘हिन्दू धर्म’, ‘दर्पण’, ‘इंडियन टाइम्स’, ‘अनुराग’, ‘महाशिवरात्रि’ एवं ‘आभा’ आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

दक्षिण अफ्रीका

‘अमृतसिंधु नामक’ एक मासिक पत्र नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) से प्रकाशित हुआ। इसका प्रकाशन 1990 से आरंभ हुआ था। इसी क्रम में दक्षिण अफ्रीका के डरबन नामक शहर से ‘धर्मवीर’ नामक पत्र का प्रकाशन 1916 में आरंभ हुआ था। यह एक साप्ताहिक पत्र था। इसका संपादक  रल्लाराम गांधीलामल भल्ला ने अमर धर्मवीर पंडित लेखराम की स्मृति में आरंभ किया था।

सूरीनाम

सूरीनाम में भी अनेक पत्र हिन्दी में दैनिक, साप्ताहिक और मासिक रूप में प्रकाशित हुए। ये पत्र जहां इस देश में हिन्दी पत्रकारिता के अस्तित्व के द्योतक हैं, वहां दूसरी ओर प्रवासी भारतीयों की हिन्दी के प्रति रुचि को भी दर्शाते हैं। इनमें दैनिक कोहिनूर अखबार साप्ताहिक ‘प्रकाश’ और ‘शांतिदूत’ तथा मासिक ‘ज्योति’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

बर्मा

बर्मा से भी समय-समय पर हिन्दी की अनेक पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित होती रही है। इनमें ‘प्राची प्रकाश’ ‘जागृति’ तथा ‘ब्रह्म भूमि’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जानकारी के मुताबिक यहां ‘प्राची प्रकाश’ दैनिक पत्र रंगून से प्रकाशित होता है। यह बर्मा से हिन्दी में प्रकाशित होने वाला दैनिक पत्र है।

नेपाल

हिन्दी पत्रकारिता में नेपाल से प्रकाशित पत्रों का भी उल्लेखनीय स्थान है। नेपाल की राजधानी काठमांडू से ‘नेपाल’ शीर्षक से एक हिन्दी पत्र प्रकाशित होता है। काठमांडू से ही प्रकाशित जो अन्य पत्र उल्लेखनीय है उनमें ‘हीमोवत संस्कृत’ पत्र भी है। इसी प्रकार ‘हिमालय’ शीर्षक से भी एक पत्र बीरगंज से प्रकाशित हुआ था। इसी क्रम में ‘नव नेपाल’ शीर्षक से एक साप्ताहिक पत्र काठमांडू (नेपाल) से प्रकाशित हुआ। इसका प्रकाशन 1955 से आरंभ हुआ था।

फिजी

हिन्दी पत्रकारिता के विकास में विदेशों मे जो कार्य हुआ है उसको दृष्टि में रखते हुए फीजी से प्रकाशित हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं का महत्व अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। ‘अखिल फीजी कृषक संघ’ शीर्षक से एक ऐसे ही पत्र का प्रकाशन दीनबन्धु के संपादन में फीजी से हुआ था। इसी प्रकार ‘किसान’ शीर्षक से भी एक पत्रिका का प्रकाशन बी.बी. लक्ष्मण के द्वारा किया गया था। कृषि विषयक एक अन्य पत्रिका नन्द किशोर के संपादन में ‘किसान मित्र’ शीर्षक से भी प्रकाशित हुई थी।

चीन

चीन विश्व में सर्वाधिक आबादी वाला देश है। यहां हिन्दी का प्रचार प्रसार तो नहीं लेकिन चीन संबंधी जानकारी विभिन्न देशों को देने के लिए वहां से ‘चीन सचित्र’ नामक एक हिन्दी मासिक पत्र निकलता है। यह विश्व की 19 भाषाओं में एक साथ प्रकाशित होता है। हिन्दी में इसके 326 अंक अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। इसका मुद्रण एवं प्रकाशन बीजिंग से होता है।

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