Ram Mandir : राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के यजमान होंगे पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण

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Ram Mandir : इन दिनों राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में लगा देश राममय हो रहा है. अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर उद्घाटन की तैयारियां जोर – शोर से चल रही है. इसके साथ ही राम मंदिर उद्घाटन से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आ रही है, जिसमें इस कार्यक्रम के यजमान का खुलासा किया गया है.

देश के इस भव्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के यजमान विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. रवीद्र नारायण सिंह होगें. डा. सिंह पटना के मशहूर हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं. आरएन सिंह 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सपत्नीक यजमान के तौर पर उपस्थित रहेंगे. इस बात की पुष्टि राममंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य ने की है.

कौन हैं डॉ. आरएन सिंह ?

डॉ. आरएन सिंह बिहार के सहरसा जिला के गोलमा के मूल निवासी हैं. वह ऑर्थो सर्जन हैं और पटना में रहकर प्रैक्टिस करते हैं. वह पद्मश्री से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. उन्होने लंदन से एफआरसीएस की डिग्री प्राप्त की है. हालांकि कुछ और लोग भी सपत्नीक यजमान बन सकते हैं लेकिन उनके नाम अभी सामने नहीं आए हैं. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना है कि यजमान के रूप में समाज के प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. इसमें सबसे पहले विहिप अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह का नाम सामने आया है.

कार्यक्रम में शामिल होंगे 7000 श्रद्धालु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देशभर से करीब 7000 लोग शामिल होंगे. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए 4 जनवरी से यज्ञ कुंड बनाने का काम शुरू हो जाएगा. वहीं अन्य अनुष्ठान के लिए कुल 9 कुंड बनाए जाएंगे. इसके साथ मंडप भी तैयार किए जा रहे हैं. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा और सबसे पहले मां सरयू का पूजन किया जाएगा.

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अलग-अलग प्रांतों से आई अनुष्ठान की सामग्री 

कुंड निर्माण के विशेषज्ञ पंडित दत्तात्रेय नारायण रटाटे के निर्देशन में ये सभी कुंड बनाए जाएंगे. वह सांगवेद महाविद्यालय वाराणसी के आचार्य हैं. उनके साथ गजानन जोधकर, अरूण दीक्षित, सुनील दीक्षित व अनुपम दीक्षित यहां रहेंगे. सभी कुंड दो गुणा दो फीट के होंगे. प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन 16 जनवरी से आरंभ होगा. 16 जनवरी को मां सरयू का पूजन किया जाएगा. इस दौरान आचार्यगण अनुष्ठान के लिए सामग्री आदि का प्रबंध देखेंगे. अनुष्ठान में प्रयुक्त होने वाली सामग्री भी अलग – अलग प्रांतों से आई है. उदाहरण के तौर पर तीर्थों का जल महाराष्ट्र से समिधा लाई गई है. इसके लि्ए ट्रस्ट ने अलग से स्टोर भी बनाया है.

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