Parliament Attack 2001: 22 साल बाद भी संसद पर आतंकी हमले की यादें ताजा, राष्‍ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि

एंबेसडर कार से आये थे आतंकी -

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Parliament Attack 2001: आज संसद भवन में हुए आतंकी हमले की 22 वीं बरसी है. आज वही तारीख है जब पाकिस्तान से आये पांच आतंकियों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन पर आतंकी हमले को अंजाम दिया था. इतने साल बाद भी संसद पर हुए आतंकी हमले की यादें अब भी ताजा हैं. इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रद्धांजलि दी.

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राष्ट्र हमेशा उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों का ऋणी रहेगा, जिन्होंने 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमेल में अपनी जान गंवा दी थी. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद को खत्म करने का संकल्प दोहराया.

वहीँ, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है. इस दौरान शहीदों के परिजन भी संसद परिसर में मौजूद रहे. पीएम मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके परिजनों से मुलाकात भी की.

पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी.

एंबेसडर कार से आये थे आतंकी –

आपको बता दें कि हमले के दौरान संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. उस दिन संसद में ज्यादातर सांसद मौजूद थे और संसद के दोनों सदनों में ताबूत घोटाला को लेकर सदस्यों द्वारा हंगामा किया जा रहा था. तभी करीब 11 बजकर 29 मिनट पर एक सफेद एंबेसडर कार संसद भवन की ओर तेजी से आई और मेन एंट्रेंस पर लगे बैरिकेड को तोड़ते हुए अंदर घुस गई.बताजा जा रहा था कि कार में गृह मंत्रालय का स्‍टीकर भी लगा था.

45 मिनट चलती रही गोलियां-

दरअसल, संसद में घुसे आतंकियों ने एके-47 से गोलियों चलानी शुरू कर दी. गोलियों की आवाज सुन संसद परिसर में मौजूद सुरक्षा बल मुस्तैद हो गए. आनन-फानन में सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत मोर्चा संभाला और संसद के एंट्री का गेट बंद कर दिया. करीब 45 मिनट तक संसद में गोलियों की आवाज की तड़तड़ाहट की आवाज गूंजती रही. लेकिन सेना के जवानों ने सभी आतंकियों को मार गिराया. हालांकि, इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड समेत कुल 9 लोग शहीद हो गए.

अटल बिहारी बाजपेयी की थी सरकार-

बता दें कि संसद पर जिस वक्त आतंकी हमले को अंजाम दिया गया. उस दौरान ज्यादातर सांसद सदन में मौजूद थे. जबकि हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था. जिसके चलते प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और और लोकसभा में विपक्ष की नेता सोनिया गांधी हमले से पहले अपने आवास के लिए निकल चुके थे. हालांकि, हमले के वक्त तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्‍ण आडवाणी संसद भवन में ही थे.

अफजल गुरु को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा

इस घटना की तहकीकात करते हुए 15 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य अफजल गुरु को गिरफ्तार किया.जून 2002 में ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में चार लोग अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन गुरु पर आरोप तय कर दिया. दिसंबर 2002 को अदालत ने एसएआर गिलानी, शौकत हुसैन गुरु और अफजल गुरु को मृत्युदंड की सजा सुनाई जबकि अफसान गुरु को बरी कर दिया.

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2013 को दी गई अफजल गुरु को फांसी

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई जहां अगस्त 2005 में कोर्ट ने अफजल गुरु के मौत की सजा को बरकरार रखा. वहीं शौकत हुसैन गुरु की मौत की सज़ा को बदलकर 10 साल सश्रम कारावास कर दिया. सुप्रीम कोर्ट से फांसी सुनाए जाने के बाद उसकी पत्नी ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी, जिसको तत्‍कालीन राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. आखिरकार 9 फरवरी 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में संसद भवन पर हमले के इस मास्टरमाइंड को फांसी पर लटका दिया गया.

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