नई दिल्ली: भारत ने लगातार दूसरे वर्ष पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग नहीं लिया. भारत ने इस फैसले के पीछे पाकिस्तान द्वारा सीमापार आतंकवाद को समर्थन देने को सबसे बड़ी बाधा बताया. साथ ही, भारत ने विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को सम्मानित करने पर भी पाकिस्तान की आलोचना की.
भारतीय अधिकारियों को निमंत्रण मिला या नहीं, स्पष्ट नहीं
समारोह में पाकिस्तान उच्चायोग प्रभारी साद अहमद वराइच ने भारत और पाकिस्तान के बीच “नए सवेरे” की बात कही. उन्होंने आपसी समझ, साझा चिंताओं को हल करने और कश्मीर समेत लंबित विवादों को सुलझाने की जरूरत बताई. हालांकि, इस कार्यक्रम में भारत की ओर से कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था.
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान ने भारतीय अधिकारियों को इस समारोह में आमंत्रित किया था या नहीं. जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा, “निमंत्रण और उसमें भाग लेना दोनों देशों के संबंधों पर निर्भर करता है.”
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भारत ने पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश
प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान को झूठ फैलाने के बजाय अवैध रूप से कब्जे में लिए गए भारतीय क्षेत्र को खाली कर देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, “सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देना और प्रायोजित करना ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की सबसे बड़ी बाधा है.”
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने एक पॉडकास्ट में कहा कि पाकिस्तान के साथ शांति के लिए किए गए हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात के रूप में मिला है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस्लामाबाद में नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंध सुधारने की सद्बुद्धि मिलेगी.
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जाकिर नाइक को सम्मानित करने पर भारत की नाराजगी
इस सप्ताह की शुरुआत में लाहौर में जाकिर नाइक की पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज से मुलाकात हुई थी. जब इस बारे में विदेश मंत्रालय से पूछा गया, तो प्रवक्ता ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने नाइक को सम्मानित किया है. इससे पता चलता है कि उनके मेजबानों की मानसिकता कैसी है.”
पाकिस्तानी राजनयिक का बयान
राष्ट्रीय दिवस समारोह में साद अहमद वराइच ने कहा कि पाकिस्तान “संप्रभु समानता, आपसी सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व” के सिद्धांतों पर आधारित मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने दक्षिण एशिया को एक “साझा घर” बताते हुए कहा कि “इसे स्थिर शांति, समान सुरक्षा और साझा समृद्धि के साथ आगे बढ़ना चाहिए.” वराइच ने यह भी कहा कि “कूटनीति का मार्ग पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.”
इस कार्यक्रम में भारत की अनुपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है. भारत की नीति स्पष्ट है कि जब तक आतंकवाद को समर्थन बंद नहीं किया जाता, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सके.