Mission 2040: चंद्रयान के बाद अब चांद पर जाएंगे भारतीय …
पीएम मोदी ने दिया 2040 तक का टारगेट
Mission 2040: चंद्रयान और सूर्ययान के बाद इसरो के वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद है, इसके साथ ही बता दें कि,चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया है. वही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवरा को इसे भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में हासिल एक और मील का पत्थर बताया है. पीएम मोदी ने एक्स पर साझा किये गए एक पोस्ट में लिखा है कि,’इसरो को बधाई. हमारे भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में एक और मील का पत्थर हासिल किया गया, जिसमें 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को भेजने का हमारा लक्ष्य भी शामिल है.’
Congratulations @isro. Another technology milestone achieved in our future space endeavours including our goal to send an Indian to Moon by 2040. https://t.co/emUnLsg2EA
— Narendra Modi (@narendramodi) December 6, 2023
इसरो ने चंद्रयान को बताया अनोखा मिशन
मंगलवार को इसरो ने इस ऑपरेशन को एक अनोखा प्रयोग बताया, चंद्रयान – 3 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास एक सॉफ्ट लैंडिग का प्रदर्शन करना और विक्रम लैंडर व प्रज्ञान रोवर पर लगे उपकरणों के जरिए चाद की सतह का अध्ययन करना शामिल था, अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से एलवीएम 3 – एम 4 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था. चंद्रयान – 3 ने 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी.
जाने कब वापस आएगा चंद्रयान
इसके साथ ही इसरो ने बताया है कि, ” प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने के प्रयोग का मुख्य फायदा आगामी मिशनों की योजना तैयार करने के दौरान होगा. खासकर मिशन को चांद से वापस पृथ्वी तक लाने में. फिलहाल मॉड्यूल के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जो कि शुरुआती स्टेज में है. चंद्रयान-3 मिशन का प्रोपल्शन मॉड्यूल 17 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर से अलग हुआ था और चांद का चक्कर लगा रहा था.”
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पहले प्रोपल्शन मॉड्यूल की लाइफ 3 से 6 महीने की बताई जा रही थी, लेकिन इसरो ने इसको लेकर दावा किया है कि, अभी वह कई सालों तक काम कर सकता है. क्योकि उसमें इतना फ्यूल बचा हुआ है कि, अब यह समझ में आ रहा है कि, आखिरकार परमाणु तकनीक की मदद से प्रोपल्शन मॉड्यूल कई सालों तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगा सकता है, जब चंद्रयान -3 का लॉन्चिंग हुई थी तो, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के वक्त प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 kg फ्यूल था.