जाने क्यो मनाया जाता है करवाचौथ, क्या है महत्व

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भारत में वैसे तो कई त्योहार मनाए जाते है सबका अपना अलग महत्व मान्यताए है लेकिन हिंदू समाज में शादीशुदा महिलाओं के लिए करवाचौथ का एक अलग महत्व है , यह व्रत महिलाए अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है इस बार यह त्योहार पूरे भारत में 8 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।

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आइये जानते है इस त्योहार का महत्व और इतिहास

करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाए अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है इस व्रत के पीछे एक कहानी पुराने समय से जुड़ी है।

वीरावती की कहानी सुनाई जाती है…

करवाचौथ के दिन पूजा के दौरान पर रानी वीरावती की कहानी सुनाई जाती है यह कहानी सात भाइयों की अकेली बहन थी जिसे परिवार में सभी प्यार करते थे वह शादी के बाद अपने पहले करवाचौथ के उपवास के लिए अपने मायक आती है वह पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूरे दिन उपवास रखकर चांद का इंतजार करती है वीरता को भूखा प्यासा देखकर उसके भाई से यह सब देखा नही जाता है वह पेड़ पर एक शीशा लटका कर कहते है कि देखो चांद निकल आया और वीरावती उस नकली चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती है जैसे ही खाने का पहला निवाला वह अपने मुह में डालती है वैसे ही नौकर का संदेश आता है कि उनके पति की मृत्यु हो गई है ।

वीरवाती को देवी देती है दर्शन

यह खबर मिलने के बाद वीरता रातो रात रोती रही तब अचानक देवी प्रकट होती है और कहती है की वह अपने पति को फिर से जीवित देखना चाहती है तो पूरे समर्पण के साथ करवाचौथ के व्रत का पालन करे, वीरता ने फिर से करवाचौथ का उपवास किया और यह देखकर देवता यम उसके पति के प्राण वापस कर देते है ।

कैसे मनाएं

विवाहित महिलाएं सूरज निकलने से पहले जागती है और सरगी खाने के बाद महिलाएं तब तक बिना खानाऔर पानी के रहती है जब तक वह रात में चांद नही देख लेती है ।
इस दिन महिलाये भगवान शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा करती है चांद निकलने के बाद महिलाएं चांद को छलनी से अपने पति का चेहरा देखती है और जल अर्पित करती है इसके बाद में पुरुष पानी पिलाकर अपनी स्त्रियो का उपवास पूरा करवाते है

करवाचौथ का मुहूर्त
करवाचौथ पूजा का मुहूर्त – शाम 6.16 सो 7.30 तक है । चंद्रोदय का समय 8.40 का है।

करवाचौथ पर खाया जाने वाला खाना

करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले सरगी खाई जाती है जिसमें मठरी , काजू, ड्राई फ्रूट्स और अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है ।

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