Kissa EVM ka: ईवीएम और मतपत्र में क्या है अंतर ?

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Kissa EVM ka: दौर चुनावी है जिसमें हमने दो चरण पार भी कर लिया है. इन सबके बीच चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.

ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है करोड़ों मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा, क्यों इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालों का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर के बारे में… इस सीरिज के छठवें एपिसोड में हम जानेंगे की ईवीएम और मतपत्र में क्या है अंतर ?

जानें मतपत्र और ईवीएम का अंतर?

मतदान किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मूल है और पिछले कुछ वर्षों में वोट डालने की प्रक्रिया बहुत बदल गई है. परंपरागत रूप से, मतपत्र चुनावों में वोट डालने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय रहे हैं. हालाँकि, प्रौद्योगिकी में सुधार से कई देशों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) एक विकल्प बन गए हैं. दोनों तरीकों के पास अच्छे और बुरे पक्ष हैं, और लोकतांत्रिक चुनावों में उनकी उपयुक्तता का निर्णय लेने के लिए उनके बीच का अंतर जानना महत्वपूर्ण है.

ईवीएम के होते है तीन भाग

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम. यह एक साधारण बैटरी पर चलने वाली एक ऐसी मशीन है जो वोटों को दर्ज भी करती है और वोटों को गिनती भी करती है. इस मशीन के तीन भाग होते है पहला- कंट्रोल यूनिट दूसरा बैलेटिंग यूनिट (बीयू) और तीसरा व अंतिम भाग होता है वीवीपैट. दोनों मशीनें एक दूसरे से पांच मीटर लंबी तार से जुड़ी रहती है. वीवीपैट बैलेटिंग यूनिट वह हिस्सा होता है, जिसे वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है और बैलेटिंग यूनिट को पोलिंग ऑफिसर के पास रखा जाता है.

ईवीएम के प्रयोग से पहले बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाता था, तब मतदान अधिकारी मतदाता को कागज का मतपत्र देता था,फिर मतदाता मतदान कंपार्टमेंट में जाकर अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे मोहर लगा देता था और फिर मतपत्र को मतपेटी में डालकर अपना मतदान करता था. लेकिन ईवीएम आने के बाद कागज और मोहर की जरूरत खत्म हो गयी है. अब मतदान के लिए मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर बैलट बटन दबाता है, इसके बाद मतदाता बैलेटिंग यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीवार के आगे लगा नीला बटन दबा देता है, जिसके साथ ही मतदाता अपना मतदान दर्ज करता है.

यूनिट से हो जाती है मतगणना

इसे वोट कंट्रोल यूनिट रिकॉर्ड करता है, इस यूनिट के माध्यम से तकरीबन 2000 वोट डाल जा सकते हैं. वही इसेक साथ ही मतदान संपन्न होने के बाद इसी यूनिट से मतगणना होती है. बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम दर्ज किए जा सकते हैं, यदि अधिक उम्मीदवार हों तो कंट्रोल यूनिट से अधिक बैलेटिंग यूनिट्स जोड़ा जा सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक, ऐसी 24 बैलेटिंग यूनिट एकसाथ जोड़ी जा सकती हैं, जिससे नोटा समेत अधिकतम 384 उम्मीदवारों के लिए मतदान करवाया जा सकता है.

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चुनाव आयोग ने बताया ईवीएम को सुविधाजनक

भारत चुनाव आयोग का कहना है कि, ईवीएम बहुत उपयोगी है और पेपर बैलट या मतपत्रों की तुलना में अधिक सटीक है क्योंकि इसमें गलत या अस्पष्ट वोट डालने की संभावना नहीं होती है. इससे चुनाव आयोग की गिनती और मतदाताओं को वोट देना भी आसान होता है. लेकिन बैलेट पेपर के समय में सही जगह मुहर न लगने के कारण मतदान ख़ारिज हो जाया करते थे. चुनाव आयोग का कहना है कि, इसके इस्तेमाल के लिए मतदाताओं को तकनीक का ज्ञान होने की जरूरत नहीं होती है, यह बताया जाता है कि निरक्षर मतदाताओं के लिए और ईवीएम बहुत सुविधाजनक है.

 

 

 

 

 

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