मप्र के 2 मंत्री और 24 आईएएस के मामले लोकायुक्त में लंबित : कांग्रेस
मध्यप्रदेश में लोकायुक्त का एक साल और मानवाधिकार आयोग का दस साल से पद रिक्त है। इस मसले को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने याद दिलाया कि दो मंत्री सहित 24 आईएएस और 2696 अन्य अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त में लंबित हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में कहा है कि जिस तरह से राज्य में भ्रष्टाचार का ‘लोक व्यापीकरण’ हो रहा है, उन स्थितियों में इन पदों का रिक्त होना बहुत गंभीर विषय है।
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अन्य अफसरों पर भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त में लंबित हैं
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लोकायुक्त और राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का आग्रह करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने एक बैठक में भ्रष्ट अफसरों की सूची बनाने के निर्देश दिए थे, जबकि लोकायुक्त में तीन हजार से अधिक मामले लंबित हैं। दो मंत्री सहित 24 आईएएस और 2696 अन्य अफसरों पर भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त में लंबित हैं।
मुख्यमंत्री भ्रष्ट अफसरों की सूची बनाने के निर्देश दे रहे हैं, इस पर मुझे आश्चर्य है
सिंह ने लिखा है, “पूर्व लोकायुक्त पी़ पी़ नावलेकर ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अधिकारियों पर अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी थी। कुल मिलाकर लोकायुक्त की नियुक्ति से लेकर अनुमति देने तक की सारी ताकत मुख्यमंत्री के हाथ में है, फिर भी मुख्यमंत्री भ्रष्ट अफसरों की सूची बनाने के निर्देश दे रहे हैं, इस पर मुझे आश्चर्य है।
मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं
सिंह ने आगे लिखा है, “मुझे इस पर भी आश्चर्य है कि एक ओर मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, दूसरी ओर सतना नगर निगम के आयुक्त जो 50 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए और इंदौर की महिला अधिकारी जिसके यहां छापा में करोड़ों की संपत्ति मिली, दोनों की नियुक्ति आपकी सरकार की सिफारिश पर हुई। वहीं भोपाल नगर-निगम की आयुक्त छवि भारद्वाज को सिर्फ इसलिए हटा दिया कि वह घोटालों पर कार्रवाई कर रही थीं। भ्रष्टाचार पर आपकी जीरो टॉलरेंस की नीति में यह विरोधाभास क्यों है?
सिंह ने दोनों प्रमुख पदों के रिक्त होने को संवैधानिक दृष्टि से जनोन्मुखी सरकार के लिए अनुचित बताते हुए लिखा है कि यह सरकार की नीयत और नीति को संदेहास्पद बनाता है।
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