जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने वाला बिल राज्यसभा में पास हो गया। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े।
मंगलवार को यह बिल लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल को पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘मैं जब जम्मू-कश्मीर बोलता हूं तो इसका अर्थ पीओके भी है। हम जम्मू-कश्मीर के लिए जान दे देंगे।’
शाह ने कहा कि 1948 में यह मामला UN में पहुंचाया गया था। फिर इंदिराजी ने शिमला करार में भी इसका जिक्र किया। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इस पर कोई कानूनी या संवैधानिक विवाद नहीं है और जम्मू कश्मीर ने भी इसे स्वीकार किया है।
आगे कहा, ‘अनुच्छेद 370 (C) में इस बात का जिक्र भी है। जम्मू कश्मीर पर कानून बनाने के लिए यह संसद पूरी तरह सक्षम है। हम राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह संकल्प लेकर आए हैं।’
कांग्रेस के विरोध पर शाह ने दिया जवाब-
आगे अमित शाह ने कहा, ‘जैसा की अभी कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर का मसला UN में है, और UN इसे मॉनिटर कर रहा है तो इस मामले में सरकार कैसे बिल बना रही है? मुझे कांग्रेस से कहना है कि इस मामले में उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए।’
गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर पर संसद ही सर्वोच्च है। कश्मीर को लेकर नियम कानून और संविधान में बदलाव से कोई नहीं रोक सकता।
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