नई दिल्ली: तमिलनाडु में जारी हिंदी भाषा विवाद के बीच अंदर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एमके स्टालिन को बड़ा झटका देते हुए कहा कि, हिंदी से नफरत नहीं की जानी चाहिए. बता दें कि इस समय दक्षिण भारत के लेकर दिल्ली तक इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है. नायडू ने कहा को मातृभाषा पड़ते है वह दुनिया में नाम रोशन कर रहे है.आम लोगों में अवधारणा है कि ज्ञान अंग्रेजी से आता है इससे हम सहमति नहीं.
वार्ता के लिए है होती है भाषा- नायडू
बता दें कि,अमरावती में विधानसभा को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि दिल्ली में कम्युनिकेशन के लिए भाषा होती है.ज्ञान भाषा से नहीं आएगा. केवल जो लोग अपनी भाषा में पढ़ते है वह दुनियाभर में बेहतर प्रदर्शन कर रहे है. मरता भाषा के जरिए सीखना काफी आसान है. उन्होंने कहा कि मैं साफ़ तौर पर कहना चाहता हूँ कि भाषा नफरत के लिए नहीं है. अंदर की भाषा तेलगु है और अंतर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी है जबकि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है.
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दोनों का अपना-अपना उपयोग…
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भाषा विवाद के बीच एक बेहद बैलेंस रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी दोनों का अपना-अपना उपयोग है. इन्हें सीखना चाहिए. नायडू ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा को महत्व देना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें हिंदी सीखने की भी जरूरत है क्योंकि यह दिल्ली में संचार के लिए उपयोगी है. अन्य भाषाएं हम आजीविका के लिए सीखते हैं. हिंदी राष्ट्रीय भाषा है.
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पवन कल्याण ने कसा था तंज…
नायडू ने आगे कहा कि नौकरी के लिए हम कोई भी भाषा सीख सकते हैं. हम मातृभाषा को नहीं भूलेंगे. भाषा केवल बातचीत के लिए होती है. हमें याद रखना चाहिए कि अधिक से अधिक भाषाएं सीखना सबसे अच्छा है. नायडू ने कहा कि मातृभाषा में अध्ययन करने पर ज्ञान सबसे अच्छा सीखा जाता है. मातृभाषा सीखना सबसे आसान है. नायडू से पहले आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने भी बयान दिया था उन्होंने कहा था कि एक दो नहीं बल्कि हमें कई भाषाओं को संरक्षित करने की जरूरत है.