चुनाव जीतने के लिए ट्रंप खुद ही देश में करा रहे हैं प्रदर्शन?
अमेरिेका में जगह-जगह ज़ोरदार प्रदर्शन, प्रतिबंध हटाने की माँग
वाशिंगटन : Donald Trump ने लॉकडाउन को भी राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस की वजह से किए गए लॉकडाउन और घर में रहने के खिलाफ अमेरिका में इन दिनों बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, मिशिगन, मिन्नेसोटा, केंटुकी, उटाह, नॉर्थ कैरोलीना, ओहियो ऐसे राज्य हैं जहां लोगों ने विरोध दर्ज कराया है। विरोध करने वाले कुछ राज्यों में रिपब्लिकन गवर्नर हैं तो कुछ में डेमोक्रेटिक पार्टी के। प्रदर्शनकारी लॉकडाउन की वजह से इकोनॉमी पर पड़ने वाले बुरे असर के मुद्दे को उठा रहे हैं। अधिकतर प्रदर्शन वाले राज्यों में डेमोक्रेट गवर्नर हैं और यह माना जा रहा है कि चुनाव जीतने के लिए Donald Trump खुद ही प्रदर्शन को हवा दे रहे हैं। रिपब्लिकन ही इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं ताकि लॉकडाउन हटाने की आड़ लेकर Donald Trump को आगामी अक्टूबर—नवंबर में होने वाले चुनाव में सीधे फायदा पहुंचाया जा सके।
जैसे ट्रंप के बयान आ रहे हैं संकेत साफ हैं कि वे प्रदर्शनकारियों के साथ हैं। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी में उच्च मध्यम वर्ग और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी में निम्न आयवर्ग और मध्यम आयवर्ग के मतदाता बड़ी संख्या में हैं। अमीरों में से ही अधिकांश लोग उद्योग—माल आदि चलाते हैं जो प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं।
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दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों का विरोध
अमेरिका के मिशिगन में विभिन्न रूढ़िवादी संगठन, जिसमें से एक संगठन Donald Trump के कैबिनेट के एक सदस्य से सम्बद्ध हैं, ने ‘ऑपरेशन ग्रिडलॉक’ नामक एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें कई प्रदर्शनकारियों के पास शस्त्र भी थे।
अमेरिका के राज्य मिशिगन में बंदूक लिये प्रदर्शनकारियों ने राजधानी लांसिंग में हॉस्पिटल, सड़कों और संसदीय बिल्डिंग को घेर लिया। यह प्रदर्शन 15 अप्रैल को शुरू हुआ और अभी तक जारी है। रूढ़िवादी प्रदर्शनकारी डेमोक्रेट स्टेट गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर के घर पर रहने के आदेश के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं।
मिशिगन जो अमेरिका का कोरोना वायरस के सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में से है, ने हाल ही में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में घर पर रहने के आदेश जारी किए हैं।
काफी लोग बेरोजगार हो चुके हैं
असल में अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से काफी लोग बेरोजगार हो चुके हैं। ऐसे लोगों को रेंट देने और महीने के खर्च चलाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। वहीं, Donald Trump सरकार ने अमेरिकी लोगों को 1200 डॉलर की आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी किया है।
स्वास्थ्य सेवा का कहना है कि पाबंदियाँ ज़रूरी
इसके उलट स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि ये पाबंदियाँ फ़िलहाल ज़रूरी हैं। ये प्रदर्शन वैसे समय हो रहे हैं जब राष्ट्रपति Donald Trump ने राज्यों से कहा है कि वे अपने हिसाब से प्रतिबंध हटाएँ।
अमेरिकी राज्य मिशीगन की राजधानी लान्सिंग में हज़ारों लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ कर मुख्य सड़क पर आ गए, प्रशासन के दफ़्तर के आगे जाम लगा दिया और हॉर्न बजाने लगे। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की वजह से छोटे व्यापार बर्बाद हो रहे हैं।
गवर्नर के कार्यालय के सामने नारेबाजी
एक दूसरे राज्य केंटकी की राजधानी फ़्रैंकफोर्ट में गवर्नर के कार्यालय के सामने हज़ारों लोगों ने नारेबाजी ठीक उसी समय की जब वह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। डेमोक्रेट गवर्नर एंडी बेशियर ने लोगों को समझाने बुझाने की कोशिश की, उनकी आवाज़ शोरगुल में डूब गई।
उत्तरी कैरोलाइना की राजधानी रैले में प्रदर्शन इतना ज़ोरदार था कि पुलिस बुलानी पड़ी, एक महिला प्रदर्शनकारी को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया।
ओहायो और न्यूयॉर्क राज्यों में भी इस तरह के प्रदर्शन हुए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इस तरह के प्रदर्शन की योजना टेक्सस, ओरेगॉन और कैलिफ़ोर्निया जैसे राज्यों में भी है।
लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा
इन प्रदर्शकारियों की बेचारगी समझी जा सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बीते कुछ हफ़्तों में 2.20 करोड़ लोगों ने श्रम कार्यालय में बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए आवेदन किया है, यानी इतने लोगों की नौकरी हाल-फ़िलहाल गई है। समझा जाता है कि इसकी वजह कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियाँ हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि यह मानना ग़लत होगा कि इन प्रदर्शनों में सिर्फ़ हाशिए पर खड़े समूहों और समुदायों के लोग थे। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और जल्द ही यह पूरे देश में फैल सकता है।
जनप्रतिनिधियों पर भरोसा लोगों का उठ रहा
रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े ग्रेग मैकनेली ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि सारी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते समय गवर्नरों ने लोगों का मूड भाँपने में ग़लती की। उन्होंने कहा कि पहले से ही निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आम जनता का बहुत अधिक भरोसा नहीं रहा है और यह संकट उन्हें ऐसी स्थिति की ओर धकेल रहा है जहाँ लोग शायद उन पर फिर भरोसा न करें।
इसका राजनीतिक रूप इस तरह सामने आ रहा है कि एक सर्वे में डेमोक्रेट्स ने कहा है कि रिपब्लिकन्स ने प्रतिबंधों का पालन उस तरह नहीं किया जैसा ख़ुद उन्होंने किया है।
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कोरोना की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित हो
गैलप पोल में भाग लेने वालों में ज़्यादातर लोगों ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था बंद रखने के बजाय कोरोना की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सज़ा की चिंता नहीं
लोगों के गुस्से का आलम यह है कि लोग खुले आम कह रहे हैं कि वे प्रशासन की अवमानना करने ही सड़कों पर उतरे हैं और उन्हें किसी की परवाह नहीं है। आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष वॉयन हॉफ़मैन ने कहा, ‘हमें हुक़्मऊदूली करनी ही है।’ उन्होंने कहा, ‘आपको अपनी और दूसरों की सेहत का ख्याल रखना चाहिए, आपको अपनी आजीविका का भी ध्यान रखना चाहिए, अपने कर्मचारियों का भी ख्याल रखना चाहिए।’
मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा अमेरिका में
वॉयन हॉफ़मैन, अध्यक्ष, आइडाहो फ्रीडम फ़ाउंडेशन
प्रदर्शन के एक दिन पहल आइडाहो के रिपब्लिकन गवर्नर ब्रैड लिटिल ने अप्रैल के अंत तक प्रतिबंध बढ़ा दिए थे।
इस वायरस से मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा अमेरिका में ही है। वहाँ अब तक इस संक्रमण से 37,175 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी चपेट में 7,10,272 आ चुके हैं।
कोरोना से पूरी दुनिया में अब तक 1,54,266 लोगों की मौत हो चुकी है। इस रोग की चपेट में अब तक 22,50,790 लोग आ चुके हैं, जिनमें से 5,71,149 लोग ठीक हो चुके हैं।
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