सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में ‘यूपी टॉपर’
देश चाहे जितना तरक्की कर ले लेकिन देश के नागरिक हर रोज सड़क हादसों में अपना जान देते रहे तो कैसी तरक्की। देश में प्रति दिन सैकड़ों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवां बैठते है। एक्सिडेंट में जान गंवाने वालों की बढ़ती संख्या इसकी मुनादी है कि हमारा विकास असल में आधा-अधूरा ही है। एक से एक शानदार सड़कें-पुल बन जाएं, लेकिन देश की युवा आबादी उन पर दम तोड़ती रहे तो आखिर हम किस बात का जश्न मनाएं। समझना होगा कि इंफ्रास्ट्रक्चर खड़े करने का मतलब बुलंद हाईवे तैयार करना मात्र नहीं है, बल्कि यह होना चाहिए कि उन पर चलकर हर कोई सुरक्षित महसूस करे। अफसोस कि अभी का विरोधाभास हमारे सपनों को तोड़ रहा है कि दुर्घटनाओं में कमी के बावजूद जान गंवाने वालों का प्रतिशत बढ़ गया है।
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2015 में लगभग एक लाख 46 हजार लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में मौत
लाख 94 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए। साल 2015 में लगभग एक लाख 46 हजार लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इन आंकड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक जान गंवाने वालों में दुपहिया सवार हैं। जान गंवाने वालों में अकेले 34.8 फीसदी लोग दुपहिया वाहन पर ही सवार थे। इसके बाद 17.9 फीसदी वे लोग हैं, जो कार, टैक्सी, वैन या हल्के मोटर वाहन में सवार थे। इसी तरह से मरने वालों में 11.2 फीसदी लोग ट्रक में और 10.5 फीसदी लोग पैदल राहगीर थे।
86 फीसदी एक्सिडेंट सिर्फ 13 राज्यों में हुए
रिपोर्ट के मुताबिक 86 फीसदी एक्सिडेंट सिर्फ 13 राज्यों में हुए। इनमें टॉप पर तमिलनाडु है। इसके बाद मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, यूपी, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात, पश्चिम बंगाल और हरियाणा का नंबर है। लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में उत्तर प्रदेश टॉप पर है। इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र का नंबर है। सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में से 46 फीसदी लोग 18 से 34 वर्ष के थे। भारत में रोजाना लगभग 400 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं।
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2016 में चार लाख 80 हजार 652 सड़क दुर्घटनाएं हुईं
यह आंकड़ा रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टरी की उस रिपोर्ट का है, जिसमें 2016 की सड़क दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया गया है। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात यह है कि 2015 के मुकाबले पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में चार फीसदी की कमी आई है। वहीं चिंताजनक बात यह है कि दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों के आंकड़े में तीन फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुर्ह है।
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एक लाख 50 हजार 785 लोगों की जानें गई
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें संतोष है कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कुछ कम हुई है। गडकरी के मुताबिक 2017 की पहली छमाही के जो आंकड़े आए हैं, उससे भी साफ है कि इस साल भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ रही है। पहले 6 महीने में लगभग चार फीसदी कम सड़क हादसे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में चार लाख 80 हजार 652 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें एक लाख 50 हजार 785 लोगों की जानें गई।
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