चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत को ऑस्ट्रलिया से मिली ये ताकत

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भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत को एक बड़ी सफलता मिली है। बता दें कि भारत के साथ हुए समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया ने यूरेनियम की पहली खेप भारत के लिए भेज दी है। आप को बता दें कि यूरेनियम ही ऐसी चीज है जिससे परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं।

भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा कि ये युरेनियम की खेप भारत के साथ हुए समझौते के तहत भेजी गई है। साथ ही कहा कि इस यूरेनियम को भेजने के लिए संसदीय समिति से पहले ही अनुमति मिल चुकी थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्री जूली बिशप ने कहा कि दोनों देश परमाणु सुरक्षा समझौते पर भी सहमत हुए हैं।

डोकलाम विवाद पर बोलीं जूली बिशप

सिक्किम में डोकलाम विवाद पर जूली बिशप ने कहा कि दो देशों के बीच सीमा विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि दो देशों के बीच विवाद बढ़े, लेकिन कोई भी गड़बड़ी स्थानीय शांति के लिए अच्छा नहीं है।

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2014 में सिविल न्यूक्लियर पैक्ट का हुआ था समझौता

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2014 में सिविल न्यूक्लियर पैक्ट पर समझौता किया था। ऑस्ट्रेलिया न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप देशों के क्लब में भारत को सदस्य बनाने का भी समर्थक है। भारत यूरेनियम का इस्तेमाल देश में बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करने वाला है।

21 न्यूक्लियर रियेक्टर भारत में

भारत में 21 न्यूक्लियर रियेक्टर हैं, जिससे भारत 5 हजार 780 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकता है। इसमें से 3 हजार 380 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले 13 रियेक्टर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की निगरानी में हैं और आयात किये हुए यूरेनियम पर निर्भर हैं। भारत अपनी न्यूक्लियर ऊर्जा बनाने की क्षमता को बढ़ाना चाहता है, लेकिन कच्चे माल की कमी वजह से इसमें बाधा आ रही है। 2008 में अमेरिका से सिविल न्यूक्लियर डील करने के बाद भारत ने ब्रिटेन, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया से भी समझौता किया है।

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