कायम है पूर्वांचल के चुनाव में अब भी बाहुबलियों का दबदबा

भाजपा हित में समीकरण साधने के लिए अमित शाह व राजा भैया की मुलाकात होगी निर्णायक

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कहने को प्रयागराज में अतीक अहमद व उसके भाई असरफ के अलावा हाल ही में गाजीपुर के मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूर्वांचल में बाहुबलियों का दबदबा कम हो गया है, लेकिन धरातल पर यह बेमानी लगती है. अब भी पूर्वांचल के कई जिले हैं जहां पर बाहुबली प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप् से लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं. इसका अंदाजा भाजपा को बखूबी है. इसे देखते हुए भाजपा के चाणक्य केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बड़ी चाल चली है. बीते दिनों बेंगलुरु में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से उनकी मुलाकात हुई है. वहां से राजा भैया के लौटते ही जौनपुर लोकसभा सीट पर बड़ा उलटफेर हो गया.

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बसपा के चुनाव निशान पर पर्चा दखिल कर चुकी बाहुबली धनन्जेय की पत्नी श्रीकला का टिकट कट गया. दूसरे दिन धनन्जय भी पार्टी से बाहर हो गए. यह हाई प्रोफाइल घटनाक्रम भाजपा को लाभ देता दिखाई दे रहा है. जहां धनन्जय के जेल जाने से जौनपुर की जनता में उनके प्रति सहानुभूति हो गई थी और भाजपा का वोट बसपा की ओर जाने का डर बन गया था. श्रीकला का टिकट कटने के बाद वह सहानुभूति भाजपा की ओर लौट आई है. अमित शाह से मुलाकात के बाद से यह माना जा रहा है कि पूर्वांचल में चुनावी समीकरण बनाने के लिए बाहुबलियों को साधने की जिम्मेदारी अब राजा भैया के कंधे होगी. इसकी पुष्टि 12 मई हो जाएगी जब कौशांबी में अमित शाह जनसभा करने पहुंचेंगे. उनके निशाने पर सपा के अलावा राजा भैया भी होंगे या नहीं ? उनका संबोधन पूर्वांचल की राजनीति में बाहूबलियों के रुख को स्पाष्ट कर देगा.

कई मौकों पर राजा भैया और उनके दल के लोगों ने दिया भाजपा का साथ

गौर करने की बात यह है कि हाल ही में राज्यसभा के चुनाव में राजा भैया ने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के पक्ष में मतदान किया था. इतना ही नहीं सपा के कई विधायकों ने भी उनके साथ भाजपा प्रत्याशी को अपना मत दिया था. इसके पहले भी विधान परिषद चुनाव में भी जनसत्ता दल के विधायक ने भाजपा समर्थित प्रत्याशी की मदद की थी. इसके बाद से लोकसभा चुनाव में भाजपा व जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन की अटकलें भी चलती रहीं. कौशांबी से प्रत्याशी के नाम का ऐलान भी रुका था. इससे अटकलों को बल मिलता रहा. मगर ऐन वक्त पर भाजपा ने तीसरी बार विनोद सोनकर को चुनाव मैदान में उतार दिया. इसे लेकर राजा भैया समर्थकों में नाराजगी देखने को मिली. फिलहाल, अब सबकी नजरें अमित शाह की 12 मई को होने वाली जनसभा पर टिकी हैं.

पक्ष में प्रचार करने से भाजपा को होगा फायदा

रघुराज प्रताप सिंह का प्रतापगढ़ के अलावा प्रयागराज व जौनपुर में भी खासा दबदबा माना जाता है. कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में दो विस क्षेत्र कुंडा व बाबागंज आते हैं. वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कुंडा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का उम्मीदवार तीसरे नंबर और बाबागंज में भाजपा उम्मीदवार दूसरे नंबर पर था. कुंडा से खुद राजा भैया और बाबागंज से उनकी पार्टी के विनोद सरोज विधायक बने. रघुराज प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश की तमाम सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा प्रदेश के राजपूत समाज में उनकी अच्छी खासी पैठ मानी जाती है. ऐसे में भले ही जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने कौशांबी में अपने उम्मीदवार न उतारे हों, लेकिन इतना तय है कि रघुराज प्रताप सिंह के मौन रहने से अधिक फायदा भाजपा को तब होगा जब रघुराज प्रताप सिंह भाजपा के पक्ष में प्रचार करें. क्योंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से अपने उम्मीदवार और पूर्व सांसद रहे शैलेंद्र कुमार को जब कौशांबी से उतरा था तो उनको 156406 मत मिले थे. तब भाजपा की लहर भी चल रही थी.

प्रतापगढ़ ही नहीं, प्रयागराज व जौनपुर में भी दबदबा

इसके अलावा प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भी रघुराज प्रताप सिंह का अच्छा खासा हस्तक्षेप है. प्रतापगढ़ के बारे में सिर्फ इतना जान लेना आवश्यक है कि रघुराज प्रताप सिंह के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय महासचिव कुवर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल प्रतापगढ़ से पूर्व सांसद रह चुके हैं, वह वर्तमान में विधान परिषद सदस्य हैं. इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष माधुरी पटेल भी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की ही हैं. नगर पंचायत अध्यक्ष भी रघुराज प्रताप सिंह के ही समर्थक हैं. तमाम सारे ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य रघुराज प्रताप सिंह के ही समर्थक हैं. वहीं, जौनपुर में प्रतापगढ़ की सीमा से लगे इलाकों को भी प्रभावित करते हैं. जौनपुर का क्षत्रिय समाज भी उनसे सीधे तौर पर जुड़ा है. यह दबदबा 25 साल से जारी है.

गाजीपुर व आसपास की सीटों पर संशय बरकरार

प्रयागराज में अतीक व उसके भाई की मौत के बाद भाजपा की राह आसान हो गई है लेकिन गाजीपुर अब भी चुनौती बनी हुई है. बाहूबली रहे मुख्तांर अंसारी के परिवार का दबदबा अब भी कायम है. मुख्तार के भाई अफजाल खुद गाजीपुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं. मुख्तार का बेटा अब्बास विधायक है, जबकि अफजाल की बिटिया ने भी चुनावी मोर्चा संभाल लिया है. बाहुबल के दबदबा के अलावा मुख्तार की राबिन हुड की छवि अफजाल को मजबूती देती है. वहीं, अफजाल की बिटिया का नया रूप भी हिंदू वोटरों को आकर्षित कर रहा है. वह पहले ही दिन से मंदिर-मंदिर जाकर मत्था टेक रही हैं. अनुष्ठान हो रहा है तो प्रसाद भी ग्रहण कर रही हैं.

भदोही, चंदौली, मीरजापुर सीटों पर भी चलेगा बाहुबलियों का सिक्का

भदोही में उदयभान सिंह उर्फ डाक्टर, विजय मिश्रा, मीरजापुर व वाराणसी में एमएलसी विनित सिंह, चंदौली व वाराणसी में पूर्व एमएलसी ब्रजेश सिंह व उनके परिवार का दबदबा रहा है. इसी बल पर लंबे समय से इन लोगों के पारिवारिक सदस्य व समर्थक राजनीति में सफलता पाते रहे हैं. विजय मिश्रा तो खुद विधायक भी रहे. यदि मुलाकात का एजेंडा कारगर रहा तो इन बाहुबलियों को साधकर भाजपा के पक्ष में लाने की जिम्मेदारी राजा भैया की होगी.

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