माननीयों के दामन पर लगे हुए हैं गहरे दाग…
बसपा सांसद पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता और इस मामले की गवाह की दर्दनाक मौत के बाद माननीयों और अपराध के गठजोड़ की चर्चा जोरों पर है। जनता को मूलभूत सुविधाओं के साथ स्वतंत्र जीवन जीने के लिए जरूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाने और बनाए रखने के जिम्मेदार इन जनप्रतिनिधियों का वास्तविक चरित्र क्या है यह हर कोई जानना चाहता है। इसका सच बेहद डरावना है।
बीते वर्ष सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की गयी। न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया की ओर से पेश इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश भर में वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ कुल 4442 केस लंबित हैं। इनमें से करीब 413 मुकदमें ऐसे हैं जिनमें उम्रकैद की सजा है। इन 413 में 174 केस वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ हैं।
यूपी की राजनीति में भी अपराध का बोलबाला-
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पूर्व और वर्तमान सांसदों विधायकों के खिलाफ 62 जिलों में कुल 1217 मुकदमें लंबित हैं। वहीं 2019 चुनाव की एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) रिपोर्ट भी माननीयों के दामन पर लगे दाग को दिखाती है। यूपी के 80 सांसदों में से 44 पर यानी 55% और 403 विधायकों में से 143 पर यानी 35% विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में चुनकर आए प्रदेश के 80 लोकसभा सांसदों में से 44 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनकर आए 403 विधायकों में से 143 विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। 37 सांसद ऐसे हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके पहले चुने हुए चुनाव जीत हासिल करने वाले 28 सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले थे।
पहले से कुछ तो कम हुए-
2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में उतरे 859 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें 143 चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए। यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटों के सापेक्ष इनका प्रतिशत 36 हुआ। हालांकि इसके पहले 2012 की तुलना में ये आंकड़ा कम था। वर्ष 2012 में हुआ यूपी चुनाव में 189 एसे विधायक चुने गए जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि रही है।
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