प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक साक्षात्कार में 2002 के गुजरात दंगों को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि उस समय उनके राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें दोषी ठहराने की पूरी कोशिश की, लेकिन अदालतों ने सभी तथ्यों की गहन समीक्षा के बाद उन्हें निर्दोष पाया. उन्होंने आरोप लगाया कि दंगों को लेकर एक झूठी कहानी गढ़ी गई, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके.
मोदी ने कहा कि यह धारणा बनाना गलत था कि 2002 के दंगे गुजरात के इतिहास के सबसे बड़े दंगे थे. उन्होंने बताया कि अगर 2002 से पहले के आंकड़ों को देखा जाए, तो गुजरात में बार-बार सांप्रदायिक दंगे होते थे. उन्होंने 1969 के दंगों का उदाहरण दिया, जो छह महीने तक चले थे. उस समय हालात इतने खराब थे कि कई जगहों पर लगातार कर्फ्यू लगाया जाता था.
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एक अकल्पनीय त्रासदी
प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया कि जब 27 फरवरी 2002 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड हुआ, तब वह हाल ही में गुजरात विधानसभा के सदस्य बने थे. उन्होंने इसे एक “अकल्पनीय त्रासदी” बताया, जहां ट्रेन में यात्रियों को जिंदा जला दिया गया था. मोदी ने इस घटना की गंभीरता को समझाते हुए कहा कि जब दुनिया में 9/11 जैसे बड़े आतंकी हमले हुए थे या भारत में कंधार विमान अपहरण और संसद पर हमला हुआ था, तो लोगों में किस स्तर का डर और तनाव था – उसी तरह का माहौल गुजरात में उस समय था.
उन्होंने कहा कि गोधरा कांड के बाद हिंसा भड़की, लेकिन कुछ ताकतों ने इस घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की. उनके मुताबिक, केंद्र में बैठे उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध थे और चाहते थे कि उन पर कानूनी कार्रवाई हो. लेकिन अदालतों ने इस मामले की दो बार गहराई से जांच की और उन्हें पूरी तरह निर्दोष करार दिया.
2002 के बाद गुजरात में शांति स्थापित हुई
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि 2002 के बाद से गुजरात में कोई बड़े दंगे नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि इससे पहले लगभग हर साल राज्य में सांप्रदायिक हिंसा होती थी, लेकिन उनकी सरकार ने शांति और स्थिरता बनाए रखने में सफलता हासिल की.
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लेक्स फ्रिडमैन ने रखा 45 घंटे का उपवास
इस साक्षात्कार का एक दिलचस्प पल तब आया जब लेक्स फ्रिडमैन ने खुलासा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से उपवास पर सवाल पूछने से पहले खुद 45 घंटे का उपवास रखा था. यह सुनकर मोदी आश्चर्यचकित रह गए.
प्रधानमंत्री ने उपवास को केवल भोजन त्यागने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक पद्धति बताया. उन्होंने कहा कि यह भारतीय परंपराओं, योग और आयुर्वेद से जुड़ा हुआ है, जिसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. मोदी ने समझाया कि हमारे धर्मशास्त्रों में शरीर, मन, आत्मा और बुद्धि को ऊंचे स्तर पर ले जाने के लिए उपवास का महत्व बताया गया है.
उन्होंने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह हर साल जून से अक्टूबर के बीच चातुर्मास करते हैं, जिसमें वे पूरे दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में भी वह दिनभर में सिर्फ एक बार फल ग्रहण करते हैं. हालांकि, इस दौरान वह खुद को पूरी तरह हाइड्रेट रखते हैं, ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे.
लेक्स फ्रिडमैन ने पूछा कि क्या उन्होंने कभी उपवास के दौरान विदेश यात्रा की है, तो मोदी ने बताया कि एक बार वह अमेरिका की यात्रा पर थे, जब वह उपवास कर रहे थे. उन्होंने ध्यान और गायत्री मंत्र के लाभों पर भी चर्चा की और बताया कि ये मन और शरीर को संतुलित करने में कैसे मदद करते हैं.