‘शांत मन से वाहन चालने’ के संदेश के साथ हुई बाइक रैली

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विश्व मानसिक दिवस के सिलसिले में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कायम करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को बाइक रैली का आयोजन किया गया जिसमें 70 से अधिक मोटर साइकिल चालकों ने हिस्सा लिया। हैरले डेविडसन, ड्काटी, केटीएम, कावासाकी, ट्राइम्प और रॉयल इनफील्ड जैसी मोटर बाइकों पर सवार इन वाइकरों ने राजधानी की विभिन्न सड़कों से गुजरते हुए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कायम की।

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विश्व मानसिक स्वास्थ्य कांग्रेस के आयोजन का आगाज

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के सिलसिले में इस मोटर बाइक रैली का आयोजन सीआईएमबीएस के सामाजिक जागरूकता अभियान ‘इंडिया फॉर मेंटल हेल्थ’ तथा राइडर्स प्लैनेट की ओर से किया गया। इस रैली के जरिए अगले महीने भारत में पहली बार आयोजित हो रही डब्ल्यूएफएमएच विश्व मानसिक स्वास्थ्य कांग्रेस के आयोजन का आगाज भी किया गया।

‘शांत मन से वाहन चलाने’ का संदेश भी दिया गया

इस रैली में सुपर बाइकरों, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस रैली के जरिए लोगों को ‘शांत मन से वाहन चलाने’ का संदेश भी दिया गया।

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गौरतलब है कि विश्व मानसिक दिवस का आयोजन हर साल 10 अक्टूबर को होता है। इस साल के विश्व मानसिक दिवस का संदेश है – कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य।’

मानसिक तनाव अक्सर रोड रेज के रूप में सामने आता है

इस मौके पर डब्ल्यूएफएमएच विश्व मानसिक स्वास्थ्य कांग्रेस के आयोजन अध्यक्ष डॉ. सुनील मित्तल ने कहा, “आज के समय में रोड रेज की बढ़ रही घटनाओं का संबंध मानसिक तनाव से भी है। हम सड़कों पर किस तरह से वाहन चलाते हैं और किस तरह का व्यवहार करते हैं यह हमारी मानसिक स्थिति पर भी निर्भर है। हमारा फ्रस्ट्रेशन एवं मानसिक तनाव अक्सर रोड रेज के रूप में सामने आता है।”

दुर्घटना होने की आषंका बहुत कम होती है

मोटर बाइक चलाने का शौक रखने वाले सीआईएमबीएस के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर कलानी ने कहा, “आज की बाइक रैली में हमने लोगों को ‘शांत मन के साथ वाहन चलाने’ का संकल्प लेते हुए देखा। शांत मन से वाहन चलाने पर हम अपना ध्यान बेहतर तरीके से केन्द्रित कर पाते हैं जिससे दुर्घटना होने की आषंका बहुत कम होती है।”

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वाहन चलाने के कारण दुर्घटना होने की आशंका कई गुना बढ़ती है

दिल्ली की मनोचिकित्सक डॉ. शोभना मित्तल ने कहा कि पिछले छह वर्षो में दिल्लीवासियों को सड़क जाम में फंसकर दोगुना समय बर्बाद करने को मजबूर होना पड़ता है जो रोड रेज तथा मानसिक तनाव का कारण है। समय पर दफ्तर या अन्य जगह पहुंचने की आपाधापी में लोग मानसिक तनाव से गुजरते हैं और यह तनाव दफ्तर एवं घर में भी बना रह सकता है। सड़कों पर मानसिक तनाव के साथ वाहन चलाने के कारण दुर्घटना होने की आशंका कई गुना बढ़ती है।

समाज में जागरूकता कायम की जाए

इस मौके पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. नीलम कुमार बोहरा ने कहा कि आज जीवन के हर क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है जिसके कारण कार्यस्थलों पर मानसिक तनाव बढ़ रहा है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार आज पांच में से एक व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी मुकाम पर डिप्रेशन से ग्रस्त होते हैं लेकिन मानसिक समस्याओं को लेकर समाज में कायम भ्रांतियों के कारण लोग अपनी मानसिक समस्याओं को छिपाते हैं, जबकि इन समस्याओं का सही समय पर सही इलाज होना चाहिए। ऐसे में यह जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में कायम भ्रांतियों को दूर किया जाए तथा समाज में जागरूकता कायम की जाए।

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