इन्होंने दिया था मोदी को नोटबंदी का सुझाव, राहुल ने किया था रिजेक्ट

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पिछले साल के सबसे बड़े  फैसले के लिए अगर आप अकेले पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो जरा ठहरिये…जी हां जिसने पीएम को नोटबंदी का सुझाव दिया था उनका नाम है अनिल बोकिल। मीडिया के अनुसार पुणे के अनिल बोकिल ने पीएम मोदी को नोटबंदी का सुझाव दिया था।  बोकिल ने बताया कि अगर उनका यह प्रस्ताव मान लिया जाता है तो देश में बेरोजगारी की समस्या खत्म हो सकती है।
रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायता मिलेगी
अनिल बोकिल ने बताया, “नोटबंदी का मामला अब पास्ट (पुराना) हो गया है। अब हमने ड्यूटी ऑवर को 6 घंटे करने का सजेशन दिया है। इससे रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायता मिलेगी। आगे अनिल ने बताया,”भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है और ज्यादातर लोग 8 घंटे के वर्किंग ऑवर्स में सिर्फ 3.5 और 4 घंटे ही प्रभावी ढंग से काम कर पाते हैं।
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प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए काम के घंटों को सिर्फ 6 घंटे का करना चाहिए। इससे मिड सीनियर और सीनियर लेवल के लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिता सकेंगे और जो युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं उन्हें फिर से रोजगार मिलेगा।”इससे होने वाले फायदे गिनाते हुए अनिल बोकिल ने कहा,”काम के घंटों को दो शिफ्ट (6-6 घंटे) में करने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। जीडीपी में बढ़ोतरी होगी और कर्मचारियों की कार्य क्षमता भी बढ़ेगी।
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हर सेक्टर में रोजगार डबल हो जाएगा।”बोकिल ने बताया कि इससे ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को भी फायदा होगा। खेती के अलावा ग्रामीणों को खाली समय में रोजगार मिलेगा। अनिल बोकिल का जन्म महाराष्ट्र के लातूर में हुआ था। 53 साल के बोकुल अर्थक्रांति प्रतिष्ठान के फाउंडर हैं। बोकुल ने अभी तक शादी नहीं की। उन्होंने इकोनॉमिक्स में पीएचडी की है। इंजीनियरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की इस संस्था ने अपने प्रपोजल में कहा था कि इम्पोर्ट ड्यूटी छोड़कर 56 तरह के टैक्स वापस लिए जाएं। बड़ी करेंसी 1000, 500 और 100 रुपए के नोट वापस लिए जाएं।
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देश की 78% आबादी रोज सिर्फ 20 रुपए खर्च करती है। ऐसे में, उन्हें 1000 रुपए के नोट की क्या जरूरत? सभी तरह के बड़े ट्रांजैक्शन सिर्फ बैंक से जरिए चेक, डीडी और ऑनलाइन हों। कैश ट्रांजैक्शन के लिए लिमिट फिक्स की जाए।
राहुल से 3-4 मिनट अच्छी बात हुई थी
इन पर कोई टैक्स न लगाया जाए।राहुल गांधी को भी दिया था प्रजेंटेशनबोकिल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने सिर्फ 2-3 सेकेंड दिए थे। राहुल से 3-4 मिनट अच्छी बात हुई थी। फिर उन्होंने अपने एक्सपर्ट का नंबर दिया था। उन्होंने फायनेंस मिनिस्टर से बात करके पूरा प्लान समझाया था।
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उन्हें प्लान पसंद भी था, लेकिन हर सरकार चीजों को अलग नजरिये से देखती है। उनकी सोच अलग होती है। जब उन्होंने मोदीजी को अपनी रिसर्च बताई तो उन्हें भी पसंद आई और तुरंत उस पर काम शुरू कर दिया।
उन्हें यकीन था कि सही समय आएगा
कई बार रिजेक्ट हुआ उनका प्रपोजलमोदीजी से मुलाकात से पहले वे कई बार अपने प्लान को लेकर अलग-अलग मंत्रियों से मिले, लेकिन कहीं से पॉजिटिव जवाब ने मिलने पर कभी उनका आत्मविश्वास टूटा नहीं। उन्हें यकीन था कि सही समय आएगा। वे खुद से ज्यादा समाज और संस्था के बारे में सोचते हैं। खुद से पहले अर्थक्रांति को रखते हैं। 4-5 दिनों में ही लोगों ने उन्हें सेलिब्रिटी समझना शुरू कर दिया है, लेकिन उनके पैर जमीन पर हैं।
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