कानपुर शूटआउट: विकास दुबे का खास शूटर लालू गिरफ्तार, पुलिसकर्मियों पर की थी ताबड़तोड़ फायरिंग

विकास दुबे

कानपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद भी पुलिस एक्शन में हैं। यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने विकरु कांड में विकास दुबे के साथ शामिल 50 हजार के इनामी बदमाश बाल गोविंद उर्फ लाल को गिरफ्तार कर लिया है।

इनामी बदमाश बालगोविंद उर्फ लालू चित्रकूट से गिरफ्तार

कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) के खास माने जाने वाले बालगोविंद उर्फ लालू को चित्रकूट के कर्वी से धर दबोचा गया है। बदमाश विकास दुबे को एसटीएफ ने दस जुलाई को कानपुर में एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।

vikas dubey brother

बाल गोविंद ने की थी पुलिसकर्मियों पर फायरिंग

बता दें कि बाल गोविंद उर्फ लालू विकास दुबे पर एफआईआर लिखाने वाले राहुल तिवारी का करीबी रिश्तेदार है, जिसने शूटआउट की रात विकास दुबे के साथ मिलकर पुलिस वालों पर फायरिंग की थी। बाल गोविंद इस जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे का खास शूटर है।

विकास दुबे

कानपुर लाने की तैयारी में पुलिस

जानकारी के मुताबिक, सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या के मामले में शामिल और कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के चचेरे भाई बाल गोविंद दुबे उर्फ बड्डे उर्फ लालू को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ की टीम ने पचास हजार के इनामी बाल गोविंद दुबे उर्फ लालू पुत्र स्वर्गीय मेवालाल, निवासी बिकरू, चौबेपुर, कानपुर को चित्रकूट के कोतवाली कर्वी क्षेत्र में खोही से कर्वी जाने वाले मार्ग पर गिरफ्तार किया है। बाल गोविंद को कानपुर लाने की तैयारी की जा रही है।

Vikas Dubey.

नामजद आरोपियों में शामिल है बाल गोविंद

बता दें कि 2-3 जुलाई की रात हुए शूटआउट में पुलिस ने 21 नामजद और 770 अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। विकास दुबे का चचेरा भाई बाल गोविंद दुबे भी नामजद आरोपियों में शामिल था और वारदात के बाद से फरार चल रहा था।

एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, बाल गोविंद को गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ के लिए उसे कानपुर लाया जाएगा। पुलिस इस मामले में अब तक दयाशंकर अग्निहोत्री, शशिकांत, जेसीबी चालक, उमाकांत शुक्ला, गुड्डन त्रिवेदी समेत अब तक एक दर्जन लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। बिकरू कांड में विकास दुबे के 16 सहयोगी पुलिस की रडार पर थे, जो कि धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। कुछ का एनकाउंटर हो गया, जबकि कुछ को गिरफ्तार किया गया। वहीं घनश्याम शुक्ल ने पुलिस को सरेंडर किया है।

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