रेप के आरोपी विधायक को आजाद छोड़ना योगी सरकार की थेथरई

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आशीष बागची

योगी सरकार इससे पहले इतनी बुरी तरह कभी नहीं फंसी थी जैसी इस बार उन्‍नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व उससे जुड़े नाबालिग लड़की के रेप व उसके पिता को हड्डियां तोड़कर मौत की नींद सुलाने के मामले में फंसी है।

लेकिन एक बात समझ से परे है कि जिस विधायक की दबंगई के चर्चे आम है, उसे बचाने की इतनी जद्दोजहद यूपी सरकार व उसके शासनतंत्र में क्‍यों दिखाई पड़ रही है? क्‍या इसके पीछे एमएलए का होने वाला चुनाव है? यह बात शिद्दत से पूछी जा रही है।

भाजपा को एक वोट खोने का डर

राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि अगर विधायक जेल चले गये तो विधानपरिषद चुनाव में भाजपा का एक वोट कम हो जायेगा, इसलिए उसका बाहर रहना जरूरी है। एक बार यह चुनाव सम्‍पन्‍न हो जाने दीजिये, विधायक जेल के अंदर ही दिखाई पड़ेंगे।

सरकार ने चालाकी से बदला स्‍टैंड

भारी बदनामी के बावजूद इस रेप केस में न सुषमा स्‍वराज बोलीं, न निर्मला सीतारमण और न ही स्‍मृति ईरानी। यूपीए सरकार के दौरान केंद्र में यही तीनों फायरब्रांड नेता आग उगलती थीं। यूपी स्‍तर पर रीता बहुगुणा जोशी, स्‍वाति सिंह की जुबान भी बंद रही। सिर्फ और सिर्फ भाजपा प्रवक्‍ता दीप्ति भारद्वाज सामने आयीं और विधायक रेप मामले में योगी व उनके सलाहकारों के खिलाफ बोलीं। अन्‍यथा बाकी सारे लोग सरकार को बचाते व मुंह चुराते नजर आये।

भाजपा प्रवक्‍ता भी आये बचाव में

नाबालिग का रेप, उसके पिता की हड्डी-पसली तोड़ने व चिकित्‍सा न होने देकर मार डालने के मामले में किसी सरकार की इतनी छीछालेदर इससे पहले कभी नहीं हुई थी। आज डीजीपी ओपी सिंह व गृह सचिव अरविंद कुमार की जो साझा प्रेस कांफ्रेंस हुई उसमें भी ये दोनों अफसरान सरकार को बचाते ही नजर आये। देखिये सरकार ने जब अपना गला फंसता देखा और लगातार आलोचना होती देखी तो धीरे से मामला अपने तोते यानी सीबीआई के सिपुर्द कर दिया।

दोनों सरकारी अफसर सरकार को बचाते नजर आये

ये दोनों सरकारी अफसर बराबर यह कहते दिखे कि इस केस में एफआईआर दर्ज कर जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई है। फिर धीरे से यह कहना न भूले कि अब विधायक सेंगर की गिरफ्तारी का फैसला भी सीबीआई ही लेगी। यानी सरकार की नीयत पर जो पहले से ही शक था, वह पुख्‍ता इसलिए हो गया कि आगे एमएलसी चुनाव है। तबतक विधायक को आजाद घूमने दिया जाये और चुनाव होते ही जेल में धीरे से तोते के जरिये दाखिल करा दिया जाये।

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इससे दो काम होंगे-पहला सांप भी मरेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी और दूसरा यह कि एमएलसी चुनाव में वोट की कमी नहीं आयेगी क्‍योंकि जेल जाने का मतलब यह होता कि भाजपा के पक्ष में एक वोट घट जाता। जेल में दाखिल हो जाने के बाद विधायक वोट देने से वंचित हो जाता है। इस तरह सारा अपमान सहकर भी योगी सरकार ने अपने विधायक को एक वोट की खातिर आजाद घूमने को छोड़ दिया जबकि इसी तरह के किसी अन्‍य मामले में अबतक आरोपी की योगी सरकार के तंत्र ने खाल खिंचवा ली होती।

क्‍या आरोपी की पुलिस गिरफ्तारी नहीं होती?

इन अफसरों की ढिठाई देखिये कि पुलिस की ओर से विधायक का बचाव किए जाने के आरोपों पर डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि हम उनका बचाव नहीं कर रहे हैं। वह अभी आरोपी हैं, दोषी साबित नहीं हुए हैं। सिर्फ आरोप लगने से भर से उन्हें दोषी करार नहीं दे सकते।

इलाहाबाद हाईकोर्ट आया सामने

सरकार तो अपनी किरकिरी कराकर भी सीना तानती रही पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लिया। हाईकोर्ट में उन्नाव गैंगरेप की सुनवाई शुरू हो गयी। हाईकोर्ट ने सरकार से फौरन ही जवाब मांग लिया कि क्‍यों अबतक विधायक की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

विधायक का है आपराधिक रिकार्ड

मुंबई हो, उन्नाव शहर हो या यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर बसा माखी गांव… हर जगह चर्चा सिर्फ नाबालिग से रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उन पर लगे आरोपों, उनके दबदबे और दबंगई की हो रही है। वे चार बार से विधायक हैं। गांव के लोग दबी जुबान चर्चा कर रहे हैं कि सरकार कोई भी रही हो उन्नाव में सिक्का सेंगर का ही चला है, लेकिन इतने सालों में पहली बार है कोई उनसे इस तरह टक्‍कर ले रहा है, अपनी जान देकर और अपनी आबरू लुटाकर।

राजनीतिक सफर विधायक का

कुलदीप सिंह सेंगर ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कांग्रेस से की। वह लंबे समय तक युवा कांग्रेस से जुड़े रहे। 2002 में बसपा के टिकट पर उन्‍होंने उन्नाव की सदर सीट से जीत हासिल की। 2007 में वह एसपी से जुड़ गए। बांगरमऊ सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए। 2012 में भगवंत नगर से एसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। 2017 के चुनाव से ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए और बांगरमऊ से जीत हासिल कर फिर सरकार के साथ हो लिए। अब यही सरकार इस विधायक की तरफदारी में जुट गयी है।

हर सरकार में सेंगर की चली

कुलदीप सेंगर की हर सरकार में चली। उसका अपने क्षेत्र में दबदबा हमेशा कायम रहा है। जब जिस पार्टी की सरकार रही सेंगर उस पार्टी में शामिल रहे। यही वजह है कि सूबे में सरकारें बदलती रहीं लेकिन अपने क्षेत्र में उनका दबदबा बना रहा। उन्होंने अपने परिवार को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं और उनके भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना ग्राम प्रधान हैं।

भाजपा की कथनी व करनी में भेद सामने आया

जाहिर है कहने को पार्टी विथ डिफरेंस भाजपा विधायक की गिरफ्तारी न करने के कुछ भी बहाने बनाती रहे पर हकीकत में इसकी करनी व कथनी में स्‍पष्‍ट भेद सामने आ चुका है और जनता की नजर में छवि में भी गिरावट आयी है। अब सरकार विधायक सेंगर को लेकर चाहे जितनी भी थेथरई दिखाये लोगों के मन में चढ़ चुका है कि इस पार्टी में रसूखदारों की ही इज्‍जत  है, महिला की नहीं। विधायक चाहे तो रेप करके बच सकता है पर रेप का विरोध करने पर बेटी के पिता की हड्डी-पसली एक कर उसे मार डाला जा सकता है। मठ चलाने का अनुभव रखने वाले फायरब्रांड हिंदू नेता की छवि वाले योगी आदित्‍यनाथ के राज में इससे अधिक किसी को उम्‍मीद नहीं रखनी चाहिये।

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