नहीं थम रहीं कासगंज हिंसा, अब तक 49 गिरफ्तारियां

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कासगंज में तिरंगा यात्रा से शुरु हुआ विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है ।  मामले में अबतक 49 लोगो की गिफ्तारियां हो गई है।जिसमें से 10 को  दंगा भड़काने और हत्या के प्रयास के तहत हिरासत में लिया गया। इसके अलावा कासगंज की सीमाएं सील करते हुए गाड़ियों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है।आपको बता दे कि क्षेत्र में धारा 144 लगा होने के बावजूद हिंसा जारी है। कासगंज में जो पिछले दो दिनों से चल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार को इसका इल्म भी नहीं था। जब पूरा देश गणतंत्र के जश्न में डूबा था। तब कासगंज में तिरंगा यात्रा निकालने के बाद हुई हिंसा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हिंसा में एक युवक की जान चली गई।

उपद्रवियों ने तहसील रोड पर भी फायरिंग कर दी

लेकिन कासगंज में जो कुछ हुआ या हो रहा है। क्या वो अचानक हुआ या फिर इसकी पटकथा पहले से लिखी जा रही थी।मुस्लिम बाहुल इलाके में तिरंगा यात्रा निकालने पर विवाद दरअसल कासगंज जिले के थाना कोतवाली क्षेत्र में बिलराम गेट के पास से तिरंगा यात्रा गुजर रही थी। इस दौरान कासगंज में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हिंदुस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के साथ जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए। इसी दौरान दूसरे समुदाय के लोगों ने उनका विरोध किया, जिसके बाद दोनों पक्षों में भिड़ंत हो गई। इस दौरान समुदाय विशेष के लोगों ने भी मोर्चा संभाल लिया और घर की छतों से पथराव और फायरिंग शुरू कर दी। कुछ ही देर में उपद्रवियों ने तहसील रोड पर भी फायरिंग कर दी।

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इसके बाद इलाके में तनाव और बढ़ गया। गाड़ियों में आग लगा दी गई। इसमें गोली लगने से रेलवे रोड निवासी चंदन गुप्ता उर्फ अभिषेक की मौत हो गई, जबकि एक अन्य युवक प्रिंस गंभीर रूप से घायल हो गया। उपद्रवियों के पथराव में करीब छह लोगों को मामूली चोटें आईं। चामुंडा देवी का गेट लगाने पर हुआ था हंगामा बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले सोरों गेट के चामुंडा मंदिर पर जिला प्रशासन गेट लगाने जा रहा था। जिसका संप्रदाय विशेष लोगों ने विरोध किया। भारी संख्या में जुटे लोगों ने सड़क जाम कर दिया। जिसके बाद जिला प्रशासन को बैकफुट पर जाना पड़ा और मंदिर पर गेट लगाने का प्लान भी कैंसिल हो गया। पुलिस पर भी लग रहे लापरवाही के आरोप आपको बता दें कि जहां ये सारा बवाल मचा उस जगह से थाना बेहद करीब है।

प्रमुख सचिव गृह का बयान सभी नामित लोगो की गिरफ्तारी हुई है , आज कुछ घटनाये हुई है , छूट पुट घटनाये हुई है 130 बजे के बाद कोई घटना नही हुई है , raf और pac की कंपनियां लगाई गई है , जो भी खुरफातकर रहा है उसे बक्शा नही जाएगा , मुख्यमंत्री ने सख्त निर्देश है और खुद पूरे मामले की मॉनिटरिंग कर रहे है , dgp मुख्यालय से d k ठाकुर को भेजा गया है , भाजपा के सभी नेताओं को वहां जाने से मना कर दिया है जब तक वहां स्थितियां सामान्य न हो , अब तक 50 लोगो की गिरफ्तारियां हो चुकी है , स्थिति काल से लेकर आज तक काबू में है ।

                                                                                                                   प्रमुख सचिव गृह, अरविंद  कुमार

गृह विभाग ने कासगंज हिंसा पर रिपोर्ट तलब की है

लेकिन पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि वक्त रहते वो हिंसा नहीं रोक पाई। कोतवाली थाना हिंसा की जगह से महज 100 कदम की दूरी पर है। पुलिस पर देर से आने के आरोप लगे रहे हैं, हालांकि पुलिस अधिकारियों का दावा है कि वो समय रहते पहुंच गए थे। उनका कहना है कि परेड की वजह से पुलिस तुरंत आ गई थी और मौके को काबू में कर लिया था। कासगंज को शांत करने के लिए शासन ने कसी कमर गृह विभाग ने कासगंज हिंसा पर रिपोर्ट तलब की है। उत्तर प्रदेश की डीजीपी ओपी सिंह ने आईएस रैंक के अधिकारी डीके ठाकुर को कासगंज भेजा है। डीके ठाकुर को इस तरह की परिस्थितियों से निपटने में एक्सपर्ट माना जाता है। साथ ही एसपी एटा, एसएसपी मथुरा, एसएसपी अलीगढ़ और एसपी हाथरस को भी मौके पर भेजा गया है। इसके अलावा आगरा जोने के एडीजी आनंद कुमार, आईजी रेंज अलीगढ़ भी कासगंज में कैंप कर रहे हैं।

नव नियुक्त डीजीपी के लिए बड़ा सबक है

प्रशासन ने कासगंज की सीमाओं को सील किया प्रशासन ने एतिहातन जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया है। कासगंज आने-जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बहरहाल कासगंज हिंसा में सबसे बड़ी चूक जिला प्रशासन और इंटेलिजेंस की है। बिना परमिशन के निकल रही तिरंगा यात्रा की पुलिस को भनक तक नहीं लगी और ना ही पुलिस ने इसे रोकने का प्रयास किया। अगर पुलिस सक्रिय रहती तो शायद ये हादसा टल सकता था। भले ही कासगंज में हिंसा की आग शांत हो जाए लेकिन कहीं ना कहीं योगी सरकार और नव नियुक्त डीजीपी के लिए बड़ा सबक है।

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